मैं फ़िलिस्तीन की रक्षा के लिए युद्धभूमि में जाने को तैयार हूँ: कोलंबियाई राष्ट्रपति
कोलंबिया के राष्ट्रपति गुस्तावो फ़्रांसिस्को पेट्रो ने बताया कि, उनका देश उन लोगों के पंजीकरण की प्रक्रिया शुरू कर रहा है जो फ़िलिस्तीन के विचार की रक्षा के लिए लड़ना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि वह स्वयं भी फिलिस्तीन की रक्षा के लिए मैदान में जाने को तैयार हैं।
IRNA ने शनिवार सुबह RTVC की वेबसाइट का हवाला देते हुए बताया कि, न्यूयॉर्क के टाइम्स स्क्वायर में फ़िलिस्तीन के समर्थन में आयोजित सभा में बोलते हुए पेट्रो ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से फ़िलिस्तीनियों के समर्थन की अपील दोहराई और कहा कि कोलंबिया उन लोगों का पंजीकरण शुरू कर रहा है जिनके पास सैन्य अनुभव है और जो ‘‘वैश्विक मुक्ति सेना’’ नामक पहल में शामिल होना चाहते हैं ताकि फ़िलिस्तीन की रक्षा की जा सके।
राष्ट्रपति पेट्रो ने कहा है कि सभी कन्सुलेट्स और दूतावासों को निर्देश दिया गया है कि, वे फ़िलिस्तीन के समर्थन में हर संभव कदम उठाएं। उन्होंने कहा कि फ़िलिस्तीन की मुक्ति के लिए सैन्य जुटान केवल सरकारों तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि दुनिया के सभी लोगों को इसमें भाग लेना चाहिए।
उन्होंने उम्मीद जताई कि दुनिया भर से लाखों पुरुष और महिलाएं फ़िलिस्तीन मुक्ति की पहली टुकड़ियों को बनाने का निर्णय लेंगे और अगर लाखों लोग फ़िलिस्तीन की आज़ादी के लिए लड़ने का तैयार हो जाएँ और कार्रवाई शुरू कर दें तो अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और इज़रायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू की आवाज़, उनके अपने लोगों से दब जाएगी। IRNA के अनुसार, पेट्रो ने पहले भी संयुक्त राष्ट्र महासभा में दिए अपने भाषण में विकासशील देशों से आग्रह किया था कि, वे ‘‘फ़िलिस्तीन की मुक्ति’’ और अमेरिका तथा NATO समर्थित ‘अत्याचार और तानाशाही’ का मुक़ाबला करने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय सैन्य बल का गठन करें — ऐसे बयानों पर अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल ने सत्र छोड़ दिया था।
पेट्रो ने महासभा में कहा कि वह उन देशों से मज़बूत सैन्य बल की मांग कर रहे हैं जो ‘जनसंहार’ को स्वीकार नहीं करते और सभी देशों और लोगों से आग्रह किया कि वे, मानवता का एक अनिवार्य हिस्सा होते हुए, हथियार और सैनिक जुटाएँ ताकि फ़िलिस्तीन की रक्षा की जा सके और उसे आज़ाद कराया जा सके। इस आह्वान की प्रतिध्वनि इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्राबोवो सुबियान्तो के हालिया बयान से मिलती है, जिन्होंने पहले कहा था कि उनका देश ग़ाज़ा में एक अंतरराष्ट्रीय सशस्त्र बल के लिए बीस हजार सैनिक भेजने को तैयार है।


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