ग़ाज़ा के इकलौते चर्च पर हमले के बाद, अमेरिका और इज़रायल में तल्ख़ी बढ़ी

ग़ाज़ा के इकलौते चर्च परहमले के बाद, अमेरिका और इज़रायल में तल्ख़ी बढ़ी

ग़ाज़ा में एक चर्च पर इज़रायली हमले और फ़िलस्तीनी-अमेरिकी नागरिक की हत्या के बाद अमेरिका और इज़रायल के रिश्तों में एक बार फिर तनाव गहरा गया है। हाल ही में प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की वॉशिंगटन यात्रा के दौरान अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से हुई दो मुलाक़ातों में ईरान के खिलाफ संभावित युद्ध पर सहमति ज़रूर बनी, लेकिन ग़ाज़ा में हुई घटनाओं ने दोनों देशों के रिश्तों में दरार डाल दी है।

ग़ाज़ा का चर्च हमला और अमेरिकी नाराज़गी
ग़ाज़ा में एक ऐतिहासिक चर्च पर हुए इज़रायली हमले ने धार्मिक भावनाओं को आहत किया है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसकी तीखी आलोचना हो रही है। हमले के बाद अमेरिकी प्रशासन ने नेतन्याहू सरकार से इस पर सफाई मांगी। स्थिति तब और बिगड़ गई जब पिछले हफ्ते इज़रायली बस्ती में एक भीड़ ने सैफ़ अल-मुसल्लल नामक फ़िलस्तीनी-अमेरिकी नागरिक की बेरहमी से हत्या कर दी। इस घटना ने अमेरिका के भीतर भी नेतन्याहू की अति-रूढ़िवादी और बस्तियों के पक्ष में नीतियों को लेकर गुस्सा बढ़ा दिया है।

सीरिया पर हमला और ट्रंप की भूमिका
इस तनातनी के बीच, इज़रायली हमलों को लेकर सीरिया में एक नई बहस शुरू हो गई है। एक वरिष्ठ इज़रायली अधिकारी ने अमेरिकी आलोचना पर हैरानी जताई और खुलासा किया कि ट्रंप ने खुद नेतन्याहू को सीरिया के कुछ हिस्सों पर नियंत्रण की नीति अपनाने के लिए प्रेरित किया था। अधिकारी ने कहा, “अमेरिका अब जो कह रहा है, वह पहले कभी नहीं कहा। हमने हस्तक्षेप तभी किया जब हमें खुफिया रिपोर्टों से पता चला कि सीरियाई सरकार द्रूज़ समुदाय पर हमला कर रही है।”

इज़रायल का कहना है कि उसने द्रूज़ समुदाय की सुरक्षा के लिए यह कार्रवाई की, क्योंकि यह समुदाय इज़रायल के भीतर भी मौजूद है और उसकी सुरक्षा इज़रायल की ज़िम्मेदारी है।हालांकि, अमेरिकी प्रशासन इस नीति से चिंतित है। व्हाइट हाउस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने चेतावनी दी है कि इज़रायल के सीरिया में लगातार हो रहे हमले पूरे क्षेत्र को अस्थिर कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि “सीरिया में इज़रायली कार्रवाई न केवल द्रूज़ समुदाय को, बल्कि खुद इज़रायल को भी नुकसान पहुँचा सकती है।”

हकाबी ने जताया विरोध, वीज़ा अड़चन पर भी सवाल
अमेरिका के पूर्व राजदूत और लंबे समय से इज़रायल समर्थक रहे माइक हकाबी ने इस हमले को “आतंकवादी कार्रवाई” करार दिया है। उन्होंने इज़रायली सरकार से जवाब मांगा और खुले तौर पर आलोचना की कि, यह सरकार अब अमेरिकी एवेंजेलिकल ईसाइयों को भी वीज़ा देने में अड़चनें डाल रही है। हकाबी का यह रुख संकेत है कि इज़रायली नीतियों को लेकर अब अमेरिका के कट्टर समर्थक भी असहज महसूस कर रहे हैं।

ग़ाज़ा में चर्च पर हमले और सैफ़ अल-मुसल्लल की हत्या से शुरू हुआ विवाद अब सीरिया तक पहुँच गया है। नेतन्याहू की नीतियों को लेकर अमेरिका के भीतर विरोध के स्वर तेज़ हो रहे हैं और यह साफ़ है कि वॉशिंगटन और यरुशलम के रिश्तों में फिलहाल गर्माहट नहीं, बल्कि तल्ख़ी का दौर चल रहा है।

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