सीएनएन ने अमेरिकी अर्थव्यवस्था के बारे में बाइडन के झूठ का किया पर्दाफाश

सीएनएन ने अमेरिकी अर्थव्यवस्था के बारे में बाइडन के झूठ का किया पर्दाफाश

सीएनएन नेटवर्क ने अमेरिकी आर्थिक वृद्धि के बारे में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के बयान को खारिज कर दिया है।

सीएनएन जो राजनीतिक रूप से डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ अमेरिका के करीब है ने एक रिपोर्ट में डेमोक्रेटिक राष्ट्रपति की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उन्हें झूठा कहा। सीएनएन ने लिखा कि बाइडन का दावा झूठा है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के आंकड़े बताते हैं कि 2021 में अमेरिकी अर्थव्यवस्था में 5.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई लेकिन उस वर्ष 50 से अधिक अन्य देशों ने तेजी से विकास किया।

सीएनएन नेटवर्क ने बताया कि इसके अलावा अमेरिकी अर्थव्यवस्था 2022 की पहली तिमाही में बहुत घट गई है जबकि कई अन्य देशों ने विकास किया है। अर्थशास्त्रियों को उम्मीद है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था इस साल के बाकी दिनों में विकास फिर से शुरू करेगी। मीडिया आउटलेट ने बाइडन के सरकारी अधिकारियों से संपर्क किया और उनसे अमेरिकी राष्ट्रपति के विवादास्पद आरोपों के बारे में पूछताछ की।

व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने बयान में कहा कि 2021 में वास्तविक अमेरिकी सकल घरेलू उत्पाद में 5.7 प्रतिशत की वृद्धि 1984 के बाद से देश के लिए सबसे तेज वृद्धि है। बाइडन अधिकारी ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष भविष्यवाणी करता है कि इस वर्ष की चौथी तिमाही से अमेरिकी अर्थव्यवस्था का आकार समूह के सभी छह अन्य देशों के 2019 के अंत के पूर्व-महामारी स्तर से अधिक होगा। अन्य ६ देश कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान और ब्रिटेन हैं।

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के आंकड़ों का हवाला देते हुए जो बाइडन के दावे का खंडन करते हुए रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका की तुलना में 2021 में जिन दर्जनों देशों की जीडीपी वृद्धि दर अधिक थी उनमें निम्नलिखित का उल्लेख किया जा सकता है:

आयरलैंड 13.5%

चिली 11.7 %

तुर्की 11%

कोलंबिया 10.6 %

भारत 8.7%

यूनान 8.3%

चीन 8.1 %

इंग्लैंड 7.4 %

फ्रांस 7%

इटली 6.6%

सीएनएन के अनुसार 2021 में कई देशों के सामान्य से अधिक तेजी से बढ़ने का कारण यह था कि उनकी अर्थव्यवस्थाएं कोरोना वायरस महामारी के कारण हुए 2020 के आर्थिक संकट से उबर रही थीं।

आर्थिक विकास के बारे में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के दावे को खारिज करना ऐसे समय में आया है जब बाइडन प्रशासन मुद्रास्फीति में तेज वृद्धि और हाल के महीनों में दूध की कमी पर संकट के लिए आलोचना में आ गया है।

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