पंजशीर पर हमले से खफा ईरान, तालिबान और पाकिस्तान को कड़ा संदेश
पंजशीर अफगानिस्तान पर तालिबान के क़ब्ज़े के बाद एक बार फिर अफ़ग़ान प्रतिरोध का केंद्र बना हुआ है। पंजशीर पर तालिबान के हमले से नाराज ईरान ने तालिबान हमलों की कड़ी निंदा करते हुए पाकिस्तान को भी कड़ा संदेश दिया है।
पंजशीर प्रान्त अफगानिस्तान सोवियत युद्ध के समय से ही अभेद दुर्ग रहा है। तालिबान 1996 से 2001 तक अपने शासन में भी इस प्रांत पर कब्जा करने में विफल रहा है।
अफगानिस्तान में 20 साल बाद सत्ता में लौटे तालिबान ने पंजशीर प्रांत को अपने अधीन लाने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। पंजशीर घाटी पर तालिबान के हमलों की निंदा करते हुए ईरान ने एक बयान जारी किया है।
ईरान विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सईद खतीबजादेह ने कहा है कि पंजशीर से जो खबरें आ रही हैं वह वास्तव में परेशान करने वाली हैं। हम इस हमले की कड़ी निंदा करते हैं।
याद रहे कि अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद से ही ईरान तालिबान के खिलाफ खुलकर बोलने से बचता हुआ दिखाई दे रहा है। 15 अगस्त को अफगानिस्तान पर कब्जा करने वाले तालिबान ने हाल ही में पंजशीर पर जीत का दावा करते हुए कहा है कि अफगानिस्तान युद्ध की दलदल से निकल गया है। पूरे अफगानिस्तान पर तालिबान का नियंत्रण है।
तालिबान के खिलाफ प्रतिरोध का बिगुल फूंकने वाले नेशनल रेजिस्टेंस ने तालिबान के दावों का खंडन करते हुए कहा है कि उसके लड़ाके पंजशीर घाटी के रणनीतिक स्थानों पर मौजूद है और संघर्ष जारी है।
ईरान विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने स्पष्ट कहा है कि हमने इस बात पर निरंतर ज़ोर दिया है कि अफगानिस्तान के सभी पक्षों की मौजूदगी में बातचीत के माध्यम से पंजशीर का समाधान निकाला जाए। तालिबान को अंतरराष्ट्रीय कानून एवं अपनी प्रतिबद्धताओं का ख्याल रखते हुए अपनी जिम्मेदारियों का सम्मान करना चाहिए।
ईरान विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सईद खतीबजादेह ने कहा कि ईरान सभी अफगान पक्ष की समावेशी सरकार स्थापित करने और अफगान लोगों की पीड़ा को समाप्त करने के लिए काम करेगा।
उन्होंने पाकिस्तान की ओर संकेत करते हुए कहा कि ईरान अफगानिस्तान में किसी भी तरह के विदेशी हस्तक्षेप की निंदा करता है। याद रहे कि ईरान और अफगानिस्तान 900 किलोमीटर की सीमा साझा करते हैं।
ईरान ने 1996 से 2000 के बीच तालिबानी शासन को मान्यता नहीं दी थी ईरान में अफगानिस्तान के लगभग 35 लाख शरणार्थी रह रहे हैं। अफगानिस्तान में संकट गहराता है तो ईरान की ओर अफगान शरणार्थियों का पलायन और तेज हो सकता है।