यूक्रेन के राष्टपति का दावा, 6 दिन में रूस के 6000 लोगों की मौत
यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लोदिमीर जेलेंस्की दावा करते हुए रूस-यूक्रेन के बीच छ: दिन से जारी जंग में मारे गए लोगों की जानकारी दी है।
व्लोदिमीर जेलेंस्की ने बुधवार को कहा कि मॉस्को के हमले के पहले छ:दिनों में लगभग 6000 रूसी सैनिक को मार गिराया हैं. उन्होंने कहा कि रूस यूक्रेन पर बम और हवाई हमलों के जरिए कब्जा नहीं कर सकता . बाबिन यार पर रूस के हमले के बारे में बताते हुए यूक्रेन के राष्ट्रपति ने कहा कि यहां पर किया गया हमला ये बात साबित करता है कि रूस में कई लोगों के लिए हमारा कीव बिल्कुल विदेशी हिस्से की तरह है. उन्होंने कहा, उन लोगों को कीव के बारे में कुछ भी मालूममत नही है. ना इन्हें हमारे इतिहास की जानकारी है. इन लोगों को सिर्फ आदेश है कि ये हमारे इतिहास, हमारे देश और हम सब को मिटाएं.
यूक्रेन के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि 24 फरवरी से लेकर 2 मार्च तक पिछले छ: दिनों की जंग में रूस के 211 टैंकों को तबाह किया गया है. और 862 आर्मर्ड पर्सनल व्हीकल, 85 आर्टिलरी टुकड़ों और 40 एमएलआरएस को बर्बाद किया गया है. इस छ:दिन युद्ध में रूस को भी बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ है. मंत्रालय द्वारा खबर दी गई है कि रूस के 30 विमान और 31 हेलिकॉप्टर मार गिराए गए हैं. इसके अलावा, दो जहाज, 335 वाहन, 60 फ्यूल टैंक और तीन यूएवी को भी मार गिराया गया है. 9 एंटी एयरक्राफ्ट वॉरफेयर को भी ढेर किया गया है. इससे ये बात एकदम साफ होती है कि यूक्रेन की सेना रूस को कड़ी टक्कर देती हूई नजर आ रही है.
रूस और यूक्रेन के बीच छिड़ी जंग की वजह से बड़ी संख्या में लोगों ने यूक्रेन से पलायन भी किया है. लेकिन बहुत से लोगों ने रूस को बाबर की टक्कर देने के लिए यूक्रेन में ही रुक गए हैं. जब कि कुछ लोग यूक्रेन छोड़कर पूर्वी हंगरी पहुंचे हैं. यहां के एक गांव के स्कूल के मैदान में इकट्ठा हुए सैकड़ों शरणार्थियों में अधिकतर महिलाएं और बच्चे ही हैं. बताया गया है कि इनके पति, पिता, भाई और बेटे अपने देश की रक्षा करने और रूसी सैनिकों से लोहा लेने के लिए यूक्रेन में ही रुक गए हैं. संयुक्त राष्ट्र की शारणार्थी मामलों संबंधी एजेंसी के अनुसार, अभी तक 6,75,000 से भी ज़ियादा लोग पड़ोसी देशों में शरण ले चुके हैं और यह आंकड़ा अभी और भी बढ़ सकता है.
संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त की प्रवक्ता शाबिया मंटो ने मंगलवार को बताया कि अगर लोग इसी तरह से पलायन करते रहे तो, यह इस सदी का यूरोप का सबसे बड़ा शरणार्थी संकट बन सकता है. यूक्रेन की सरकार ने एक आदेश देते हुए 18 से 60 वर्ष तक की आयु के पुरुषों के देश छोड़ने पर रोक लगा दी है, ताकि वे सेना की मदद कर पाएं. इसलिए कई महिलाओं और बच्चों को अपनी सुरक्षा का जिम्मा खुद उठाना पड़ रहा है. वहीं, पोलैंड में भी बड़ी संख्या में यूक्रेन की महिलाएं अपने बच्चों के साथ शरण ले रही हैं, क्योंकि रूस के बढ़ते आक्रमण के बीच बच्चों के लिए यूक्रेन में रहना अब बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं है.