अमेरिका ने साबित किया कि, वह बच्चों के ख़ून का प्यासा है: मुक़्तदा सद्र
इराक़ के सद्र आंदोलन के नेता सैयद मुक़्तदा अल-सद्र ने अमेरिका की ग़ाज़ा पट्टी में तत्काल संघर्ष-विराम प्रस्ताव को वीटो करने के फैसले की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट (एक्स) पर एक बयान जारी करते हुए अमेरिका को एक “ढीठ देश” करार दिया और उस पर आतंकवाद से गहरा लगाव और निर्दोष लोगों के खून का प्यासा होने का आरोप लगाया।
मुक़्तदा अल-सद्र का बयान
मुक्तदा अल-सद्र ने लिखा:
“एक बार फिर, अमेरिका ने साबित कर दिया है कि वह आतंकवाद से कितना प्रेम करता है और बच्चों, महिलाओं, निर्दोष नागरिकों, पत्रकारों, डॉक्टरों, और ग़ाज़ा भेजे गए मानवीय मिशन के खून का प्यासा है।”
उन्होंने यह बयान ऐसे समय पर दिया है जब अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में ग़ाज़ा पट्टी में संघर्ष-विराम की मांग वाले प्रस्ताव को वीटो कर दिया। यह प्रस्ताव ग़ाज़ा में हो रही हिंसा को रोकने और वहां के नागरिकों को राहत देने के उद्देश्य से पेश किया गया था। सुरक्षा परिषद के सभी अन्य सदस्यों ने प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया था, लेकिन अमेरिका ने इसे ठुकरा दिया।
ग़ाज़ा में संघर्ष-विराम का विरोध क्यों?
मुक़्तदा अल-सद्र ने अपने बयान में कहा कि अमेरिका ने अपनी नीति से यह साबित कर दिया है कि वह “अन्याय, कब्जे, निर्दोष लोगों की हत्या और जबरन विस्थापन का समर्थन करता है।” उन्होंने अमेरिका पर यह भी आरोप लगाया कि वह ग़ाज़ा के निर्दोष लोगों के खिलाफ हो रहे अत्याचारों को अनदेखा कर “जंगली कब्जाधारियों” के पक्ष में खड़ा है।
सद्र ने अपने बयान में यह भी कहा:
“अमेरिका ने अपनी ढिठाई से, क्रूर इज़रायली शासन का समर्थन कर ग़ाज़ा में संघर्ष-विराम प्रस्ताव को वीटो कर दिया।” उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि अमेरिका का यह कदम इस बात का प्रतीक है कि वह केवल हिंसा, खून-खराबे और निर्दोष लोगों की हत्या को बढ़ावा देना चाहता है।
अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया की मांग
मुक़्तदा अल-सद्र ने इस मामले में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से अमेरिका की नीतियों पर सवाल उठाने और ग़ाज़ा के निर्दोष नागरिकों को बचाने के लिए ठोस कदम उठाने की अपील की। उन्होंने कहा कि, ग़ाज़ा के लोगों के खिलाफ हिंसा को रोकने के लिए वैश्विक स्तर पर एकजुटता और दबाव की आवश्यकता है।
संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका का रुख
यह पहली बार नहीं है जब अमेरिका ने ग़ाज़ा में संघर्ष-विराम से जुड़े प्रस्ताव को वीटो किया है। इससे पहले भी, ग़ाज़ा में मानवाधिकार उल्लंघनों को लेकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उठाए गए कई कदम अमेरिका के विरोध का शिकार हुए हैं। मुक़्तदा अल-सद्र के बयान ने इस बात को और स्पष्ट किया कि अमेरिका का यह रुख ग़ाज़ा के पीड़ित लोगों के प्रति उसकी उदासीनता को दर्शाता है।
मुक़्तदा अल-सद्र के इस बयान ने ग़ाज़ा संकट पर अमेरिका की नीतियों को कटघरे में खड़ा कर दिया है। उनका कहना है कि अमेरिका ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि वह अन्याय और हिंसा का समर्थक है। उनके बयान से यह स्पष्ट होता है कि ग़ाज़ा में हो रही हिंसा पर अमेरिका का रवैया न केवल ग़ाज़ा के लिए बल्कि पूरे अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिए चिंता का विषय है।