फ्रांस में ट्रेड यूनियनों की नई हड़ताल की धमकी, प्रधानमंत्री को अल्टीमेटम
विवादित बजट प्रस्तावों के खिलाफ एक दिवसीय आंदोलन के बाद फ्रांसीसी ट्रेड यूनियन ने शुक्रवार को नए प्रधानमंत्री सेबेस्टियन लेकुर्नु को अल्टीमेटम देते हुए नई हड़तालों की धमकी दी। सीजीटी ट्रेड यूनियन के संयुक्त बयान में कहा गया कि ‘‘अब गेंद प्रधानमंत्री की पॉलिसी कोर्ट में है। अगर वे 24 सितंबर तक हमारे मांगों का जवाब नहीं देते हैं तो ट्रेड यूनियन हड़तालों और प्रदर्शनों की नई तारीख तय करने के लिए जल्द ही बैठक करेंगी।’’
18 सितंबर के आंदोलन की सफलता पर खुशी जताते हुए यूनियनों ने जोर दिया कि यह काफी नहीं है। उन्होंने पूरे बजट प्रस्ताव को पूरी तरह वापस लेने, वित्तीय न्याय, सार्वजनिक सेवाओं के लिए उचित बजट, उच्च स्तर की सामाजिक सुरक्षा और सेवानिवृत्ति की आयु 64 वर्ष तक बढ़ाने की योजना को त्यागने की मांग की। साथ ही उन्होंने निजी कंपनियों को 211 अरब यूरो (247 अरब डॉलर) की सार्वजनिक मदद पर सामाजिक और पर्यावरणीय शर्तें लागू करने, फ्रांस के पुनः औद्योगिकीकरण तथा रोजगार खत्म होने से रोकने के कदमों में निवेश की मांग रखी।
बयान में आगे कहा गया कि ‘‘18 सितंबर की सफलता ने मजदूरों को ताक़त की स्थिति में ला दिया है। ट्रेड यूनियन ने बजट पर दबाव बनाने और अंततः सामाजिक न्याय पाने के लिए नियमित रूप से मिलने पर सहमति जताई है।’ यूनियनों का दावा है कि गुरुवार के देशव्यापी विरोध में 10 लाख से अधिक लोगों ने हिस्सा लिया, जबकि गृह मंत्रालय का अनुमान लगभग 5 लाख था। अधिकारियों के मुताबिक 309 लोगों को गिरफ्तार किया गया और 134 को हिरासत में लिया गया, जबकि सुरक्षा बलों के 26 सदस्य घायल हुए।
यह आंदोलन बड़ी फ्रांसीसी ट्रेड यूनियनों द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री फ्रांसिस बायरो के पेश किए गए विवादित बजट प्रस्तावों के जवाब में संगठित किया गया था। 18 सितंबर की यह कार्रवाई पिछले हफ्ते के ‘‘ब्लॉक एवरीथिंग’’ आंदोलन के बाद हुई, जिसमें लगभग 1,97,000 लोगों ने हिस्सा लिया था। फ्रांस में राजनीतिक तनाव बढ़ता जा रहा है क्योंकि 8 सितंबर को बायरो संसद में विश्वास मत हासिल करने में असफल रहे थे।
जुलाई में 2026 के बजट ढांचे की घोषणा करने वाले बायरो देश के बढ़ते सार्वजनिक कर्ज़, जो अब उसके जीडीपी का 113% है, को घटाने की कोशिश के हिस्से के रूप में लगभग 44 अरब यूरो (51 अरब डॉलर) बचाने की योजना के लिए समर्थन हासिल करना चाहते थे। फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने रक्षा मंत्री सेबेस्टियन लेकुर्नु को देश का नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया है। उन्हें सरकार बनाने से पहले अन्य राजनीतिक दलों से परामर्श का काम सौंपा गया है।
ग़ौरतलब है कि 5.8% जीडीपी घाटे के साथ फ्रांस यूरोपीय संघ का सबसे बड़ा बजट घाटे वाला देश है। बजट वार्ता लंबे समय से फ्रांसीसी राजनीति में तनाव का अहम कारण रही है। पिछले साल 2025 के बजट पर समझौता न होने की वजह से वामपंथी और अतिदक्षिणपंथी दलों के एक साथ आ जाने से दिसंबर में मिशेल बार्नियर सरकार को भी पतन का सामना करना पड़ा था।

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