वॉशिंगटन में हज़ारों की संख्या में प्रदर्शनकारी, ट्रंप के विरोध में सड़कों पर उतरे
वॉशिंगटन में हज़ारों की संख्या में वॉशिंगटन निवासी सड़कों पर उतरे और राजधानी में नेशनल गार्ड की मौजूदगी के ख़िलाफ़ नारे लगाते हुए व्हाइट हाउस की ओर मार्च किया। प्रदर्शनकारियों ने इसे सैन्य बलों की मौजूदगी के ख़िलाफ़ एक बड़ा विरोध बताया। संघीय बलों की तैनाती के चौथे हफ़्ते में, इस शहर के निवासियों ने एक विशाल रैली आयोजित कर ट्रंप के क़दम को “सैन्य क़ब्ज़ा” कहा।
अमेरिकी मीडिया के अनुसार, यह रैली “We are all Washington DC” के नारे के साथ “Meridian Hill Park” से शुरू होकर व्हाइट हाउस के नज़दीक “Freedom Plaza” तक पहुँची। एजेंस फ़्रांस-प्रेस ने इस प्रदर्शन को अब तक का “सबसे संगठित विरोध प्रदर्शन” बताया है।
प्रदर्शनकारियों अपने हाथों में प्लेकार्ड उठाए हुए थे जिन पर लिखा था: “वॉशिंगटन पर क़ब्ज़ा ख़त्म करो”, “वॉशिंगटन को आज़ाद करो”, और ट्रंप विरोधी नारे जैसे “ट्रंप अभी जाओ”, “तानाशाही का मुक़ाबला करो” भी गूंजे। यह विरोध उस समय हो रहा है जब संघीय बलों और नेशनल गार्ड की तैनाती चौथे हफ़्ते में पहुँच चुकी है। ट्रंप ने आपातकाल की घोषणा कर अपराध और बेघर लोगों से निपटने के बहाने स्थानीय पुलिस का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया है। लेकिन स्थानीय अधिकारियों का कहना है कि इससे अपराध की दर में कोई कमी नहीं आई।
वॉशिंगटन के अटॉर्नी जनरल ब्रायन श्वाल्ब ने इस क़दम को “जबरन सैन्य क़ब्ज़ा” बताया और इसे रोकने के लिए अदालत में शिकायत दर्ज की है। इसी बीच, वॉशिंगटन की मेयर म्यूरियल बाउज़र ने एक कार्यकारी आदेश जारी किया है जिसके तहत यह आपातकालीन स्थिति नियंत्रित की जाएगी। इस आदेश के अनुसार, नेशनल गार्ड के जवान कम से कम दिसंबर तक शहर में रहेंगे, भले ही उनमें से कुछ गैर-सुरक्षात्मक भूमिकाओं में हों।
रिपोर्टों में बताया गया है कि 2000 से अधिक नेशनल गार्ड सैनिक – जिनमें टेक्सास और साउथ कैरोलाइना जैसे राज्यों के जवान भी शामिल हैं – वॉशिंगटन में तैनात हैं और इनमें से कुछ खासकर पर्यटन क्षेत्रों में हथियारों से लैस हैं। आलोचकों का कहना है कि यह तैनाती अमेरिकी शहरी प्रशासन में सैन्य हस्तक्षेप का ख़तरनाक उदाहरण है और इसके व्यापक राजनीतिक परिणाम हो सकते हैं।
ट्रंप की तानाशाही शैली
इस बीच, सीनेटर क्रिस वैन हॉलन ने वॉशिंगटन में गार्ड की तैनाती को “शक्ति का दुरुपयोग” और “तानाशाही का प्रदर्शन” बताया। उन्होंने कहा: “सबको पता है यह आपातकालीन स्थिति नक़ली है… ट्रंप वॉशिंगटन में एक तानाशाह की तरह व्यवहार कर रहे हैं। सीनेटर टैमी डकवर्थ ने भी अपने बयान में कहा: “यह वही तरीका है जिससे तानाशाह लोकतंत्र को नष्ट करते हैं।”
हाल ही में समाचार वेबसाइट “Axios” ने अपनी एक रिपोर्ट में लिखा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने केवल सात महीनों में ही देश की प्रमुख संस्थाओं पर व्यापक नियंत्रण स्थापित कर लिया है और उनकी स्वतंत्रता को समाप्त कर दिया है।
हालाँकि अमेरिका के संस्थापक और संविधान निर्माताओं ने यह व्यवस्था बनाई थी कि कोई भी सत्ता दूसरी पर पूरी तरह हावी न हो सके और एक-दूसरे को नियंत्रित करती रहे। लेकिन लगता है कि ट्रंप को इस संविधान से ज़्यादा दिलचस्पी नहीं है। ट्रंप ने धीरे-धीरे अमेरिका की बड़ी संस्थाओं की स्वतंत्रता को “कमज़ोर और खोखला” कर दिया है और असीमित शक्ति हासिल करने की राह में लगभग हर क्षेत्र को प्रभावित किया है।


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