दुनिया “दो राहे” पर खड़ी है, उसे टकराव की जगह संवाद को चुनना चाहिए: चीन
जब पश्चिम और रूस के बीच तथा वॉशिंगटन और बीजिंग के बीच तनाव जारी है, तब चीन के रक्षामंत्री डोंग जुन ने दुनिया से अपील की कि, वह “जंगल के कानून” की वापसी को रोके और हेज़मनी का विरोध करे। उन्होंने गुरुवार को कहा कि चीन “द्वितीय विश्व युद्ध के परिणामों और उसके बाद बनी अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था की रक्षा” के लिए “सभी शांति-प्रिय ताक़तों” के साथ सहयोग करने को तैयार है।
बीजिंग में आयोजित शियांगशान सुरक्षा सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में डोंग जुन ने चेतावनी दी कि, दुनिया दिन-ब-दिन विभाजित होती जा रही है और “जंगल के कानून” के आधार पर परिभाषित हो रही है। उन्होंने कहा कि, दुनिया पर “शीत युद्ध की मानसिकता, हेज़मनी और प्रोटेक्शनिज़्म” का साया है। “विदेशी सैन्य हस्तक्षेप, प्रभाव क्षेत्रों की तलाश और दूसरों को पक्ष लेने पर मजबूर करना, अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अराजकता की ओर ले जाएगा।”
चीन के रक्षामंत्री के अनुसार, दुनिया एक और “दोहरे रास्ते” पर खड़ी है और उसे टकराव की जगह संवाद को चुनना चाहिए। अपने भाषण में उन्होंने कई बार अप्रत्यक्ष रूप से अमेरिकी नीतियों की आलोचना की, हालांकि उन्होंने सीधे तौर पर उसका नाम नहीं लिया।
डोंग जुन ने कहा, “सैन्य शक्ति में पूर्ण वर्चस्व की दीवानगी और ‘ताक़त ही सही है’ की सोच एक ऐसी दुनिया बनाएगी जो विभाजित होगी और जिसे जंगल का कानून व अव्यवस्था परिभाषित करेंगे।” उन्होंने जोड़ा कि चीन की मजबूत सेना दुनिया में शांति की शक्ति है।उनके बयान हाल ही में राष्ट्रपति शी जिनपिंग के “हेज़मनी और ताक़त-आधारित राजनीति” के खिलाफ भाषण और बीजिंग में चीन की सैन्य परेड के बाद आए हैं।
ये टिप्पणियाँ चीन और अमेरिका तथा उनके सहयोगियों के बीच बढ़ते तनावों के बीच आई हैं, जो ताइवान, दक्षिण चीन सागर और डोनाल्ड ट्रंप सरकार द्वारा छेड़े गए टैरिफ युद्ध जैसे मुद्दों पर केंद्रित हैं। डोंग जुन ने कहा कि चीन अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को बनाए रखने के लिए अपनी ज़िम्मेदारी निभाने को तैयार है और उसकी सेना कभी भी ताइवान में किसी “अलगाववादी प्रयास” को सफल नहीं होने देगी।
उन्होंने कहा, “ताइवान की वापसी चीन में, युद्ध के बाद की अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था का अभिन्न हिस्सा है,” और चीन हर समय “विदेशी सैन्य हस्तक्षेप को रोकने” के लिए तैयार है। चीन ताइवान को अपना क्षेत्र मानता है और बार-बार पश्चिम और उसके सहयोगियों को इस द्वीप के मामलों में दखल न देने की चेतावनी देता आया है।
चीन की आधिकारिक समाचार एजेंसी शिन्हुआ के अनुसार, इस तीन दिवसीय शियांगशान सम्मेलन में 100 देशों के लगभग 1,800 प्रतिनिधि, जिनमें सैन्य अधिकारी भी शामिल हैं, भाग ले रहे हैं। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, “अधिकतर पश्चिमी देशों ने इस सम्मेलन में अपेक्षाकृत निम्न स्तर के राजनयिक प्रतिनिधि भेजे हैं और कुछ का कहना है कि वे चीन की निरंतर सैन्य मजबूती और उसके अस्पष्ट सैन्य नेतृत्व के बारे में अधिक जानकारी हासिल करना चाहते हैं।”


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