जयंत चौधरी ने एनडीए गठबंधन में शामिल होने की अटकलों पर विराम लगाया

जयंत चौधरी ने एनडीए गठबंधन में शामिल होने की अटकलों पर विराम लगाया

राष्ट्रीय लोकदल (RLD) के अध्यक्ष जयंत चौधरी ने रविवार को कहा कि उनकी पार्टी पूरी तरह से इंडिया गठबंधन के साथ है। हम लोग अगली बैठक का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। बता दें कि आरएलडी ने हाल ही में राजस्थान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। भरतपुर सीट आरएलडी के हिस्से में आई थी, जिस पर उसने जीत हासिल की है। जयंत चौधऱी ने कांग्रेस प्रत्याशियों के लिए राजस्थान में प्रचार भी किया था।

आरएलडी का पश्चिमी यूपी में सपा के साथ समझौता है। लेकिन आरएलडी अब कांग्रेस के नजदीक ज्यादा है। सपा को पश्चिमी यूपी में आरएलडी की जरूरत है। ऐसे में जयंत चौधरी की रविवार की घोषणा मायने रखती है। जयंत चौधरी ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि उनकी पार्टी गठबंधन का समर्थन करती है। उन्होंने अपने पार्टी कार्यकर्ताओं से 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी खेमे के लिए ग्राउंड पर समर्थन जुटाने को कहा है।

जयंत चौधरी के इस बयान से 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले रालोद के भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन में शामिल होने की अटकलों पर विराम लग गया है। जयंत चौधरी ने पदाधिकारियों से 7 जनवरी के कार्यक्रम (युवा संसद कार्यक्रम) पर ध्यान केंद्रित करने को कहा, जो मेरठ से शुरू होगा। उन्होंने उनसे गन्ना बकाया भुगतान में देरी और कृषि उपज के लिए कम भुगतान से संबंधित अपनी मांगों के लिए राज्य सरकार पर दबाव बनाने के लिए विरोध करने को कहा।

इसी हफ्ते 9 दिसंबर को “इंडिया गठबंधन” के नेताओं की बैठक को स्थगित कर दिया गया था क्योंकि अखिलेश यादव, नीतीश कुमार और ममता बनर्जी समेत कई नेताओं ने संकेत दिया था कि वे बैठक में शामिल नहीं हो सकते हैं। उसके बाद बैठक स्थगित कर दी गई थी। लेकिन इंडिया कोऑर्डिनेशन कमेटी की बैठक में उसी दिन 17 दलों के नेता पहुंचे थे और 38 विपक्षी नेता रात को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के डिनर में शामिल हुए थे।

इंडिया गठबंधन के तहत 28 राजनीतिक दल एक मंच पर जमा हुए थे और वहीं इंडिया का जन्म हुआ था। इंडिया का मुख्य मकसद है 2024 में सत्तारूढ़ भाजपा को हराने के लिए मिलकर चुनाव लड़ना। लेकिन मामला आगे बढ़ता, उससे पहले ही सपा के अखिलेश यादव और आम आदमी पार्टी के अरविन्द केजरीवाल ने एमपी, छत्तीसगढ़ में अपने प्रत्याशी उतार दिए। कांग्रेस और सपा के बीच तीखी बयानबाजी हुई और इंडिया गठबंधन टूटने की कगार पर आ गया। लेकिन तीन राज्यों में मिली करारी हार के बाद विपक्षी दलों को फिर से अक्ल आ गई है और वे एकजुट होने की कोशिश कर रहे हैं।

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