इज़रायल द्वारा दक्षिणी लेबनान के 10 गांवों में लेबनानी नागरिकों की वापसी पर प्रतिबंध
इज़रायल और लेबनान के बीच संघर्ष ने हाल ही में एक नई दिशा ली है, जब इज़रायली सेना के प्रवक्ता अवीखाई अद्रई ने दक्षिणी लेबनान के निवासियों के लिए एक महत्वपूर्ण घोषणा की। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म X पर एक पोस्ट में चेतावनी दी कि दक्षिणी लेबनान के 10 गांवों में लौटने से बचने के लिए कहा गया है। यह कदम इज़रायली सेना द्वारा सुरक्षा स्थिति को देखते हुए उठाया गया है।
अवीखाई अद्रई ने अपनी पोस्ट में दक्षिणी लेबनान के निम्नलिखित गांवों और क्षेत्रों की सूची दी, जिनमें किसी भी नागरिक को आने-जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी:
शेबा (Shebaa)
अल-हबरीया (Al-Habariyah)
मर्जियून (Marjayoun)
अर्नून (Arnoun)
यहमार (Yahmar)
अल-कंटरा (Al-Qantara)
शुखरा (Shukhra)
बराशीत (B’rashit)
यातर (Yater)
अल-मंसूरी (Al-Mansouri)
अद्रई ने स्पष्ट रूप से कहा कि इस क्षेत्र में प्रवेश करना और घरों की ओर वापसी करना “प्रतिबंधित” है। उन्होंने यह चेतावनी दी कि “जो भी इस रेखा से दक्षिण की ओर बढ़ेगा, वह अपनी जान को खतरे में डालेगा।”
यह घटनाक्रम तब हुआ जब, 24 घंटे पहले, लेबनान में संघर्ष-विराम लागू हुआ था। 24 अक्टूबर को सुबह 4 बजे से दोनों पक्षों के बीच गोलीबारी बंद हो गई थी, और शांति की उम्मीदों के साथ युद्ध-विराम की शुरुआत हुई थी। युद्ध-विराम के तुरंत बाद, दक्षिणी लेबनान के सैकड़ों नागरिकों ने अपने घरों की ओर वापसी शुरू की थी।
कई लेबनानी नागरिक, जो संघर्ष के कारण लंबे समय से सीमा से बाहर शरण में थे, अब सुरक्षित महसूस करते हुए अपने घर लौटने लगे। यह वापसी एक प्रतीकात्मक और भावनात्मक क्षण थी, क्योंकि दक्षिणी लेबनान के गांवों में पहले से ही विस्थापित नागरिकों की बड़ी संख्या थी।
इज़रायली बस्तियों का गुस्सा और प्रतिक्रिया
दूसरी ओर, इज़रायली बस्तियों के नागरिकों ने इस दृश्य पर तीव्र प्रतिक्रिया व्यक्त की। इन बस्तियों के निवासी पिछले एक साल से सीमा पर शरणार्थियों की तरह रह रहे थे, क्योंकि इज़रायल के साथ संघर्ष के कारण उन्हें अपनी बस्तियाँ छोड़नी पड़ी थीं। जैसे ही लेबनानी नागरिकों की वापसी की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए, इज़रायली बस्तियों के लोग आक्रोशित हो गए।
इन्हीं बस्तीवासियों ने इज़रायली प्रधानमंत्री की आलोचना भी की, जिन्होंने इन विस्थापित नागरिकों की सुरक्षित वापसी का वादा किया था। इज़रायली नागरिकों का आरोप था कि प्रधानमंत्री के वादे के बावजूद उनकी वापसी में कोई स्पष्ट सुरक्षा सुनिश्चित नहीं की गई थी, और इस असंतोष ने एक बार फिर इज़रायल और लेबनान के बीच बढ़ती जटिलताओं को उजागर किया।
यह घटनाक्रम इस तथ्य को रेखांकित करता है कि इज़रायल और लेबनान के बीच संघर्ष केवल सैन्य मोर्चे तक सीमित नहीं है, बल्कि यह मानवीय, राजनीतिक और कूटनीतिक मुद्दों को भी प्रभावित कर रहा है। युद्ध-विराम के बावजूद, क्षेत्रीय तनाव और नागरिकों के बीच असुरक्षा की भावना लगातार बनी हुई है।
इज़रायली सेना की घोषणा और लेबनानी नागरिकों की वापसी के बीच, दोनों देशों के बीच गहरे विवाद और संघर्ष की स्थिति को बढ़ावा मिल रहा है। आने वाले दिनों में, यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या संघर्ष-विराम वास्तव में स्थायी शांति की ओर अग्रसर हो सकता है, या फिर यह केवल अस्थायी राहत देने वाला एक कदम साबित होगा।