कमजोर पड़ रही है तालिबान की पकड़, 2 साल भी नहीं टिकेगी सरकार 15 अगस्त को जब तालिबान लड़ाकों ने काबुल पर कब्जा किया तो पंजशीर प्रांत को छोड़कर पूरे अफगानिस्तान पर एक बार पर तालिबान का राज हो गया था।
अफगानिस्तान पर तालिबान शासन की स्थापना के साथ ही इस देश में कई गंभीर मानवीय संकट जन्म ले चुके हैं। अकाल और युद्ध की मार झेल रहे देश में अब भुखमरी का भी संकट गहराता जा रहा है। वहीँ कहा जा रहा है कि अफगानिस्तान पर तालिबान की पकड़ धीरे-धीरे कमजोर हो रही है।
अफगानिस्तान के भगोड़े राष्ट्रपति अशरफ गनी के पूर्व चीफ ऑफ स्टाफ ने दावा करते हुए कहा है कि अफगानिस्तान के कई हिस्सों पर तालिबान की पकड़ कमजोर होती जा रही है। हालात यही रहे तो तालिबान देश पर 2 साल से अधिक समय तक राज नहीं कर पाएगा ।
पूर्व अफगानिस्तान सरकार के वरिष्ठ अधिकारी रहे दाऊद ने भविष्यवाणी करते हुए कहा है कि जिस उद्देश्य और मकसद के साथ तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा किया था वह पूरा होता प्रतीत नहीं हो रहा है। देश में जो संकट उत्पन्न हो रहे हैं उसे देखते हुए ऐसा नहीं लगता कि तालिबान सरकार अफगानिस्तान में 2 साल से अधिक समय तक टिकी रह सकती है।
अफगानिस्तान के पूर्व आर्मी चीफ ने कहा कि संकट में घिरे देश की स्थिति को देखते हुए तालिबान समझ नहीं पा रहे हैं कि अफगानिस्तान पर अपना नियंत्रण बाकी रखने के लिए क्या करें।
यूरोपियन फाउंडेशन साउथ एशियन स्टडीज के साथ वार्ता करते हुए दाऊद ने कहा कि मेरे जैसे लोग भविष्यवाणी कर रहे हैं कि तालिबान सरकार 2 साल से अधिक बाकी नहीं रहेगी। दाऊद के अनुसार तालिबान के कई पर्यवेक्षकों ने तो कहना भी शुरू कर दिया है कि अगर हालात यही रहे तो 6 महीने के अंदर अंदर अफगानिस्तान से तालिबान सरकार का बोरिया बिस्तर गोल हो जाएगा।
दाऊद ने कहा कि अफगानिस्तान तालिबान के हाथ से निकलना शुरू हो गया है। लोग भूख से मर रहे हैं। मां बाप अपने बच्चों के पालन पोषण के लिए अपनी औलाद को बेच रहे हैं। कल ही है 500 डॉलर में एक बच्ची को बेचा गया है। वहीं दूसरी ओर आईएसआईएस में शामिल होने वालों को 500 डॉलर प्रतिमाह दिए जाएंगे। अगर कोई चरमपंथी आईएसआईएस में शामिल होता है तो वह तालिबान के खिलाफ ही लड़ेगा।
याद रहे कि अफगानिस्तान के बिगड़ते हालात पर चेतावनी देते हुए संयुक्त राष्ट्र ने कहा था कि युद्धग्रस्त इस देश में दो करोड़ लोगों को तत्काल मानवीय सहायता की आवश्यकता है। उन्हें युद्धस्तर पर मदद पहुंचाने की जरूरत है , नहीं तो बड़े पैमाने पर लोग भूख से मर जाएंगे।
संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी देते हुए कहा है कि जैसे ही सर्दी का मौसम आएगा अफगानिस्तान के हालात और दिल दहलाने वाले होंगे। याद रहे कि सिर्फ काबुल में ही 1 सप्ताह के अंदर कम से कम 8 बच्चों की मौत हो गई है जबकि दर्जनों मामले ऐसे हैं जिनका कोई रिकॉर्ड ही नहीं है।