फ्रांस में पैग़ंबर मोहम्मद साहब के अपमान के बाद दुनिया भर में फ़्रांस के खिलाफ जनाक्रोश भड़क उठा था। अब जब खुद फ़्रांस में भी यह विवाद थम सा गया है लेकिन पड़ोसी देश पाकिस्तान अब भी इस आग में जल रहा है।
तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान की कट्टरपंथी इस्लामी पार्टी है जो पिछले कई महीनों से पैगंबर मोहम्मद पर फ्रांस की पत्रिका शार्ली एब्दो में छपे कार्टूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रही है। पार्टी पाकिस्तान से फ्रांस के राजदूत को निकाले जाने की मांग कर रही है।
रविवार को जब लाहौर स्थित पार्टी के मुख्यालय में आयोजित एक और प्रदर्शन को खत्म करने के लिए पुलिस और अर्ध-सैनिक बालों ने कार्रवाई की, तो पार्टी के कार्यकर्ताओं ने सुरक्षाबलों पर ही हमला कर दिया और 11 पुलिसकर्मियों को बंदी बना लिया। सोशल मीडिया पर कई वीडियो देखे गए जिनमें कई पुलिसकर्मी घायल नजर आ रहे थे और उनके सर पर पट्टियां बंधी हुई थीं।
पाकिस्तान के गृहमंत्री शेख रशीद अहमद ने सोमवार सुबह घोषणा की है कि सरकार ने बातचीत के जरिए पुलिसकर्मियों को छुड़ा लिया है। हालांकि लाठियों और पेट्रोल बमों से लैस हजारों कार्यकर्ता अभी भी उस मस्जिद के अंदर जमा हैं, जिसे उनका मुख्यालय माना जाता है।
पाकिस्तान सरकार ने पिछले साल प्रदर्शन शुरू होते समय कहा था कि सरकार नवंबर में इस मांग पर चर्चा करेगी लेकिन यह सिर्फ एक झूठा दिलासा ही साबित हुआ। एक सप्ताह पहले पूरे देश में इस मांग को लेकर हिंसक टकराव हुए जब पुलिस ने पार्टी अध्यक्ष साद रिज्वी को गिरफ्तार कर लिया था। कहा जा रहा है कि रिजवी की अगुवाई में पार्टी के लोग इस्लामाबाद पर चढ़ाई की कोशिश कर रहे थे।
सरकार ने पिछले बुधवार को ही टीएलपी को देश के आतंकवाद-विरोधी कानूनों के तहत बैन कर दिया था। पार्टी ने दावा किया रविवार की हिंसा में उसके तीन कार्यकर्ता मारे गए हैं। याद रहे कि पाकिस्तान में ईशनिंदा के खिलाफ कड़े कानून हैं जिनके तहत इस्लाम या पैगंबर मोहम्मद का अपमान करने के दोषी पाए जाने वालों को मौत की सजा भी दी जा सकती है। टीएलपी इन्हीं कानूनों के समर्थन की वजह से 2017 में लोगों की नजर में आई थी।