अफ़ग़ानिस्तान, बच्चों की हालत पर यूनिसेफ ने जताई चिंता
अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के बाद देश के हालात आए दिन और ख़राब होते जा रहे हैं. अफ़ग़ानिस्तान पर लगातार 20 साल तक चले अमेरिका के क़ब्ज़े का ज़ादा नुकसान भी बच्चों को ही उठाना पड़ा है.
अब तालिबान के क़ब्ज़े के बाद हालत और बुरे हो गए हैं.
अफ़ग़ानिस्तान में बच्चों की दुर्दशा को लेकर बार बार इंटरनेशनल ऑर्गनाइज़ेशन चेतावनी जारी करते रहे हैं. अफगानी बच्चे भूख और कुपोषण का शिकार हो रहे हैं. संकट के इस समय में अमेरिका ने एक बार फिर अपनी ग़ैर इंसानी हरकतों को तेज़ करते हुए अफ़ग़ानिस्तान की दस अरब डॉलर से अधिक की रक़म भी निराधार आरोपों के बहाने ज़ब्त कर ली है.
ईरान प्रेस ने यूनिसेफ के हवाले से अफगानी बच्चों कि दुर्दशा बयान करते हुए कहा है कि यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार अफ़ग़ानिस्तान पर तालिबान के क़ब्ज़े का एक साल पूरा होने के बाद भी 13 मिलियन से ज़्यादा बच्चों को तत्काल मानवीय सहायता की ज़रूरत है.
वहीँ “सेव द चिल्ड्रन” ने भी अफ़ग़ान बच्चों की हालत बयान करते हुए कहा कि अगर अफगानी बच्चों को जल्दी ही मदद न पहुंचाई गई तो लाखों बच्चे बे मौत मारे जाएंगे. “सेव द चिल्ड्रन” ने अफगानी बच्चों की हालत बयान करते हुए कहा कि भूख और बुनियादी सहूलतें न मिलने के कारण मरने वाले बच्चों की तादाद लाखों में नहीं बल्कि मिलियनों में होगी.
“सेव द चिल्ड्रन” के बयान के अनुसार, अफगानिस्तान अभी भी दुनिया के सबसे खराब मानवीय संकट का सामना कर रहा है. अकाल और भुखमरी के कगार पर खड़े देश में 60 लाख बच्चे और बड़े भूख से जूझ रहे हैं. हालत इतने खराब हैं कि 97 प्रतिशत परिवारों के पास अपने बच्चों के लिए ज़रूरी खाना पानी नहीं है वह अपने बच्चों को उनकी ज़रूरत भर खाना देने की हालत में नहीं हैं जबकि लगभग 80 प्रतिशत बच्चों ने कहा कि वे हाल के महीनों में अक्सर रात में भूखे सो रहे हैं.