हम सीरिया को ISIS की पनाहगाह नहीं बनने देंगे: पेंटागन

हम सीरिया को ISIS की पनाहगाह नहीं बनने देंगे: पेंटागन

पेंटागन ने एक बयान जारी कर बताया कि अमेरिका के रक्षामंत्री लॉयड ऑस्टिन ने इज़रायली रक्षामंत्री इजरायल कैट्ज के साथ एक टेलीफोन कॉल के दौरान सीरिया के घटनाक्रमों पर चर्चा की। इस बातचीत में, ऑस्टिन ने सीरिया में हो रहे घटनाओं पर वॉशिंगटन और तेल अवीव के बीच करीबी सहयोग की आवश्यकता को लेकर जोर दिया। पेंटागन के बयान में यह भी कहा गया कि अमेरिका सीरिया में राजनीतिक स्थिरता और शांति की ओर बढ़ने के लिए एक समावेशी सत्ता हस्तांतरण का समर्थन करता है, जो कि क्षेत्रीय शांति के लिए जरूरी है।

ऑस्टिन ने इस दौरान यह भी स्पष्ट किया कि अमेरिका अपने मिशन को जारी रखेगा ताकि सीरिया को फिर से ISIS के लिए एक सुरक्षित ठिकाना बनने से रोका जा सके। अमेरिका और उसके सहयोगी देश लगातार इस बात पर ध्यान दे रहे हैं कि सीरिया में आतंकवादी संगठन ISIS को पुनः अपनी जड़ों को मजबूत करने का मौका न मिले। इस दौरान ऑस्टिन ने कहा कि, “हम सीरिया को ISIS के लिए फिर से पनाहगाह बनने नहीं देंगे और अपनी सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता को सुनिश्चित करने के लिए हर संभव कदम उठाएंगे।”

इसके अलावा, इस टेलीफोन कॉल में ग़ाज़ा में चल रहे संघर्ष के बारे में भी चर्चा हुई। ऑस्टिन ने इस बातचीत में ग़ाज़ा में इज़रायली सैनिकों की सुरक्षा को लेकर की जा रही कोशिशों का जिक्र किया। उन्होंने इज़रायली सरकार से ग़ाज़ा में मानवीय संकट को और बढ़ने से रोकने और वहां की स्थिति को बेहतर बनाने की अपील की।

ग़ाज़ा में अक्टूबर 2023 से जारी संघर्ष के परिणामस्वरूप अब तक लगभग 45,000 फिलिस्तीनी शहीद हो चुके हैं, जिनमें से अधिकांश महिलाएं और बच्चे हैं। इस आंकड़े में लगातार बढ़ोतरी हो रही है, जबकि इज़रायल द्वारा सैन्य कार्रवाई जारी है। इसके बावजूद, अमेरिकी अधिकारियों ने इस भारी मानवविरोधी संकट पर चिंता तो व्यक्त की है, लेकिन वे इज़रायल को सैन्य और वित्तीय सहायता जारी रखने के पक्ष में हैं, और फिलिस्तीनियों के खिलाफ इज़रायल के कार्रवाई को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं।

अमेरिका की यह स्थिति उस वक्त सामने आई है जब दुनिया भर में ग़ाज़ा के भीतर हो रहे युद्ध अपराधों और मानवाधिकारों के उल्लंघन को लेकर व्यापक आलोचना हो रही है, लेकिन अमेरिकी नेतृत्व ने इज़रायल के साथ अपने संबंधों को बनाए रखते हुए इस संघर्ष को सुलझाने के लिए कोई ठोस पहल नहीं की है।

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