नासिक किसानों की प्याज पर निर्यात शुल्क वापस लेने की मांग
बढ़ती कीमतों के संकेतों के बीच और आगामी त्योहारी सीजन को देखते हुए केंद्र सरकार ने 19 अगस्त को प्याज की घरेलू उपलब्धता बढ़ाने के लिए इसके निर्यात पर 40 फीसदी शुल्क लगाया है। प्याज पर पहली बार निर्यात शुल्क लगाया गया है। यह वित्त मंत्रालय द्वारा एक सीमा शुल्क अधिसूचना के माध्यम से लगाया गया था और 31 दिसंबर तक लागू रहेगा।
इस वित्त वर्ष में एक अप्रैल से चार अगस्त के बीच देश से 9.75 लाख टन प्याज का निर्यात किया गया है। मूल्य के लिहाज से शीर्ष तीन आयातक देश बांग्लादेश, मलेशिया और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) हैं।
अब केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ सोमवार को महाराष्ट्र के नासिक जिले में कई जगहों पर किसानों ने विरोध-प्रदर्शन किया। किसानों ने दावा किया कि इससे रसोई के मुख्य उत्पादों के लिए अच्छी कीमतें मिलने की संभावना कम हो जाएगी। इस दौरान किसानों ने प्याज से बनी मालाएं पहनीं और केंद्र के फैसले के खिलाफ नारे लगाए।
प्रदर्शनकारी किसानों में से एक ने कहा, पहले से ही सूखे जैसी स्थिति है। अब, जब हमें अपने प्याज के लिए अच्छी कीमतें मिलनी शुरू हो रही हैं, तो केंद्र ने इस तरह का निर्णय लिया है। यह प्याज किसानों पर अन्याय है। इससे पहले दिन में, प्याज निर्यात पर 40 प्रतिशत शुल्क लगाने के केंद्र के फैसले के विरोध में महाराष्ट्र के नासिक जिले में सभी कृषि उपज बाजार समितियों (एपीएमसी) में अनिश्चित काल के लिए प्याज की थोक बिक्री रोक दी गई।
व्यापारियों का दावा है कि 31 दिसंबर, 2023 तक प्याज के निर्यात पर 40 प्रतिशत शुल्क लगाने के केंद्र सरकार के फैसले से प्याज उत्पादकों और इसके निर्यात पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। नासिक जिला प्याज व्यापारी संघ की रविवार को हुई बैठक में यहां प्याज की थोक बिक्री अनिश्चितकाल के लिए बंद करने का निर्णय लिया गया।
नासिक जिला प्याज व्यापारी संघ के अध्यक्ष खंडू देवरे ने सोमवार को कहा, यदि प्याज एपीएमसी में आया तो संभव है कि उन प्याज की बिक्री की जाए क्योंकि इस निर्णय को किसानों तक पहुंचने में समय लगेगा। उसके बाद यह प्रक्रिया अनिश्चित काल तक बंद रहेगी। बैठक में किसानों के विभिन्न संगठनों के अनुरोध पर यह फैसला किया गया। सूत्रों के अनुसार, कई स्थानों से एपीएमसी में प्याज लाए गए और उनकी बिक्री भी शुरू हुई।