कोर्ट के आदेश की अनदेखी करने की ग़लती न करें महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) की याचिका पर सुनवाई करते हुए एक बार फिर महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ कड़ी नाराजगी जताई है। दरअसल, शिवसेना (यूबीटी) की ओर से दायर याचिका में मांग की गई है कि महाराष्ट्र के स्पीकर को कुछ विधायकों के खिलाफ अयोग्यता की कार्यवाही पर तत्काल निर्णय जारी करने का निर्देश दिया जाए।
उद्धव ग्रुप के नेता सुनील प्रभु की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि वह महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर को बताएं कि वह कोर्ट के आदेश की अनदेखी न करें। इस प्रकार वे न्यायिक निर्देश को ख़ारिज या अनदेखा नहीं कर सकते।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि स्पीकर 17 अक्टूबर को बताएं कि इस सुनवाई का शेड्यूल क्या होगा। चीफ जस्टिस के मुताबिक, पिछली बार हमने सोचा था कि बेहतर समन्वय स्थापित किया जाएगा और सुनवाई व्यवस्थित तरीके से की जाएगी, लेकिन यहां एक शेड्यूल जारी कर सुनवाई को अनिश्चित काल तक लंबित रखने की व्यवस्था की गयी है, जो पूरी तरह से असहनीय है।
गौरतलब है कि उद्धव ग्रुप की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी पेश हुए। दोनों ने दलील दी कि स्पीकर राहुल नार्वेकर ने जो तारीख तय की है, उसके कारण मामला काफी लंबा हो जाएगा, जिसे हमारे मुताबिक हफ्ते में 2 बार आसानी से सुना जा सकता है। इस दलील पर मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ की पीठ ने कड़े शब्दों में कहा कि स्पीकर राहुल नार्वेकर को यह अहसास कराया जाना चाहिए कि उन्हें मामले को गंभीरता से लेना चाहिए और एक निश्चित अवधि के भीतर फैसला करना चाहिए।
कोर्ट ने इस बात का भी संज्ञान लिया कि जून के बाद से इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गई है, इसलिए जरूरी है कि शेड्यूल जारी हो या न हो, कोई बहाना नहीं बनाया जाना चाहिए बल्कि सुनवाई होनी चाहिए और फैसला लेना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर याचिकाकर्ताओं को महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष द्वारा पर्याप्त समय नहीं दिया गया या वे फिर से देरी करते हैं, तो अदालत द्वारा अवधि तय करने का एक अनिवार्य आदेश जारी किया जाएगा। कोर्ट ने यह भी संकेत दिया कि विधानसभा सदस्यों की अयोग्यता पर स्पीकर को कम से कम 2 महीने में फैसला लेना चाहिए।