केजरीवाल ने जाटों को ओबीसी में शामिल करने की मांग की
विधानसभा चुनाव से पहले अरविंद केजरीवाल ने जाट कार्ड खेल दिया है। आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर जाट समुदाय को ओबीसी सूची में शामिल करने की मांग की है। केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर केंद्र सरकार से जाट समुदाय को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की सूची में शामिल करने का आग्रह किया, जिससे शिक्षा और नौकरियों में आरक्षण की सुविधा मिल सके।
आज प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए केजरीवाल ने पीएम मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और बीजेपी पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि इन लोगों ने पिछले 10 साल से बहुत बड़ा धोखा किया है। दिल्ली सरकार की एक ओबीसी लिस्ट है। इस लिस्ट में जाट समाज का नाम आता है। उन्होंने आगे कहा कि केंद्र सरकार की एक ओबीसी लिस्ट है उसमें दिल्ली का जाट समाज नहीं आता है। ऐसे में दिल्ली विश्वविद्यालय में जब जाट समाज के बच्चे एडमिशन के लिए जाते हैं तो वहां पर उन्हें रिजर्वेशन नहीं मिलता है।
उन्होंने दावा किया कि केंद्र सरकार पिछले 10 सालों से जाट समाज को झूठे वादे कर रही है। केजरीवाल ने याद दिलाया कि 2015 में केंद्र सरकार ने जाट नेताओं को बुलाकर उन्हें केंद्रीय OBC सूची में शामिल करने का आश्वासन दिया था। उन्होंने यह भी कहा कि 2019 में अमित शाह ने भी यही वादा किया था। उन्होंने आरोप लगाया कि, बीजेपी को जाटों की याद तभी आती है जब चुनाव करीब आता है।
केजरीवाल का जाट प्रेम इस वर्ग के मतदाताओं में पूरा नैरेटिव बदल सकता है। और भाजपा को नुकसान हो सकता है। अभी सिर्फ भाजपा के पास प्रमुख जाट चेहरे हैं, जिनमें आप से भाजपा में गये कैलाश गहलोत और विवादित बयान देने के लिए चर्चित पूर्व सांसद प्रवेश वर्मा शामिल हैं। प्रवेश वर्मा तो केजरीवाल के खिलाफ नई दिल्ली विधानसभा सीट से पार्टी टिकट पर चुनाव भी लड़ रहे हैं।
अरविंद केजरीवाल ने पीएम मोदी को पत्र में लिखा कि एक महत्वपूर्ण विषय पर 10 साल पहले आपका किया वादा आपको याद दिलाने के लिए यह पत्र लिख रहा हूं। मेरी दिल्ली के जाट समाज के कई प्रतिनिधियों से पिछले कुछ दिनों में मुलाकात हुई। इन सभी ने केंद्र की ओबीसी लिस्ट में दिल्ली के जाट समाज की अनदेखी किये जाने पर चिंता जाहिर की।
जाट समाज के प्रतिनिधियों ने मुझे बताया कि आपने 26 मार्च 2015 को दिल्ली के जाट समाज के प्रतिनिधियों को अपने घर बुलाकर ये वादा किया था कि जाट समाज, जो दिल्ली की ओबीसी लिस्ट में है, उसे केंद्र की ओबीसी लिस्ट में भी जोड़ा जाएगा ताकि उन्हें दिल्ली में मौजूद केंद्र सरकार के कॉलेजों और नौकरियों में आरक्षण का लाभ मिल सके।
बता दें कि, दिल्ली विधानसभा के लिए 70 सदस्यों को चुनने के लिए 5 फरवरी को एक ही चरण में मतदान होगा। जाटों का दिल्ली में महत्वपूर्ण प्रभाव है, क्योंकि अनुमान है कि इस समुदाय के करीब 10 फीसदी मतदाता हैं लेकिन तमाम पार्टियों से उनके 12 फीसदी से ऊपर जाट प्रत्याशी जीतकर दिल्ली विधानसभा में पहुंचते हैं।


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