ईरान को सज़ा देने के लिए वापस लौटा हूं: डोनाल्ड ट्रंप

ईरान को सज़ा देने के लिए वापस लौटा हूं: डोनाल्ड ट्रंप

डोनाल्ड ट्रंप, अमेरिका के राष्ट्रपति, ने मंगलवार तड़के घोषणा की कि उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन की सरकार के कार्यकारी आदेशों को रद्द करने के निर्देश दिए हैं। ट्रंप ने व्हाइट हाउस में अपने भाषण के दौरान दावा किया:
“आप अमेरिका के सुनहरे युग की शुरुआत देख रहे हैं। हम अपने देश को उसकी महिमा वापस लौटाएंगे। हम अराजकता के बाद अपनी प्रतिष्ठा और सम्मान को बहाल करेंगे और अपने शहरों को सुरक्षित बनाएंगे।”

अल-जज़ीरा ने उनके हवाले से बताया:
“आज रात, मैं उन लोगों के लिए माफी पर हस्ताक्षर करूंगा जो 6 जनवरी 2021 को कैपिटल पर हमले के मामले में जेल में हैं।” अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि वह जो बाइडेन सरकार के लगभग 80 “विनाशकारी कार्यकारी आदेशों” को रद्द करने के निर्देश दे रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया, “बाइडेन ने लाखों लोगों को हमारी सीमाओं से प्रवेश करने की अनुमति दी है।”

इस रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप ने आगे कहा:
“हम सरकार का नियंत्रण लोगों को वापस लौटा रहे हैं। मैं अधिकारियों से आग्रह करता हूं कि वे महंगाई से लड़ने और जीवन-यापन की लागत को कम करने के लिए अपने सभी अधिकारों का उपयोग करें।”

उन्होंने कहा कि वह पेरिस जलवायु समझौते से तुरंत बाहर हो जाएंगे। उन्होंने यह भी कहा:
“मैं एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर करूंगा, जिससे अमेरिकी लोगों पर संघीय सरकार की निगरानी समाप्त हो जाएगी। हम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में विश्वास करते हैं और आज से इसे अमेरिका में वापस लाएंगे।”

ट्रंप ने यह भी कहा कि वह राजनीतिक उद्देश्यों के लिए कानून का उपयोग बंद करेंगे। उन्होंने यह वादा किया:
“हम यूक्रेन युद्ध को समाप्त करेंगे।”

ग़ाज़ा नरसंहार पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी
ट्रंप ने आगे कहा: “हम वापस लौटें हैं, ताकि ईरान को सज़ा दे सकें और उसके द्वारा तेल के पैसे का इस्तेमाल प्रतिरोध संगठनों की वित्तीय सहायता के लिए रोक सकें। हालांकि उन्होंने अपने इस संबोधन में ग़ाज़ा पट्टी में हुए इज़रायली अत्याचारों के बारे में कुछ भी नहीं कहा। ग़ाज़ा नरसंहार के लिए नेतन्याहू और उनके भागीदार पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन पर भी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।

ट्रंप ने शपथ ग्रहण समारोह से पहले ग़ाज़ा में हुए संघर्ष-विराम का क्रेडिट लेते हुए कहा था कि, गर मैं नहीं जीतता तो ग़ाज़ा में युद्ध-विराम नहीं होता। अगर ग़ाज़ा में युद्ध-विराम ट्रंप की वजह से हुआ तो इसका यह निष्कर्ष भी निकलता है कि, ग़ाज़ा नरसंहार के लिए अमेरिका पूरी तरह से ज़िम्मेदार है। नेतन्याहू प्रशासन ने ग़ाज़ा पट्टी में जो अत्याचार और जघन्य अपराध किया है उसके लिए अमेरिका पूरी तरह से ज़िम्मेदार है।

ट्रंप ने राष्ट्रपति चुनाव जीतने से लेकर शपथ ग्रहण तक एक बार भी ग़ाज़ा के पीड़ितों और निर्दोष नागरिकों की शहादत पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। अगर ग़ाज़ा में युद्ध-विराम उनकी वजह से हुआ तो उन्हें बताना चाहिए कि, पंद्रह महीने तक चले “ग़ाज़ा नरसंहार” का ज़िम्मेदार कौन है ? मासूम बच्चों का क़ातिल कौन है? वास्तविकता तो यह है कि, इज़रायल में नेतन्याहू प्रशासन, हिज़्बुल्लाह और हमास को,जबकि अमेरिका में ट्रंप प्रशासन, ईरान के नाम को केवल राजनीतिक लाभ के लिए हथकंडे के तौर पर इस्तेमाल करते हैं।

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