31 जनवरी को बिहार में बदल जाएगी सरकार: पशुपति पारस

31 जनवरी को बिहार में बदल जाएगी सरकार: पशुपति पारस

बिहार में नीतीश और बीजेपी के बीच गठबंधन क़रीब क़रीब तय माना जा रहा। उम्मीद की जा रही है कि, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कल यानि 28 जनवरी को इस्तीफा दे सकते हैं। नीतीश गठबंधन से बाहर होने वाले हैं। इसकी पुष्टि अब से थोड़ी देर पहले कांग्रेस के बयान से हो गई है।

जयराम रमेश ने कह दिया है कि कांग्रेस अध्यक्ष बार-बार नीतीश कुमार से बात करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन बात नहीं हो पा रही है। इन सब के बीच केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस ने कहा है कि सब कुछ क्लियर हो गया है। 24 घंटे के अंदर बिहार के हित में बहुत ही अच्छा होगा। केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस ने कहा कि बिहार का जो राजनीतिक माहौल है, इसमें सब कुछ क्लियर है और साफ है।

पशुपति ने 24 घंटे तक इंतजार करने को कहा है। उन्होंने कहा कि उसके बाद बिहार के हित में अच्छा होने वाला है। पशुपति पारस ने भविष्यवाणी करते हुए एक बार फिर कहा है कि बिहार में 31 जनवरी तक सरकार बदल जाएगी। बिहार में NDA गठबंधन की सरकार बनेगी। बिहार के राजनीतिक सरगर्मी के बीच अपने संसदीय क्षेत्र का दौरा करने पहुंचे केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस ने राज्य के वर्तमान राजनीतिक हालात पर सारी तस्वीर साफ कर दी है।

वहीं इन सब अटकलों के बीच राजद नेता तेजस्वी का बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि आसानी से तख्तापलट नहीं होने देंगे और इतनी आसानी से दोबारा ताजपोशी नहीं होने देंगे। गौरतलब हो कि अगस्त 2022 में भाजपा से नाता तोड़ने के बाद नीतीश कुमार लालू प्रसाद की पार्टी राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधन में शामिल हो गए थे।

उस वक्त नीतीश ने भाजपा पर जद(यू) में विभाजन की कोशिश करने का आरोप लगाया था। नीतीश कुमार ने भाजपा को केंद्र में सत्ता से उखाड फेंकने के लिए देश भर में सभी विपक्षी दलों को एक साथ लाने का अभियान शुरू किया जिसकी परिणति विपक्षी गठबंधन ‘‘इंडिया” के गठन के रूप में हुई। अगर कुमार राजग में लौटने का फैसला करते हैं, तो विपक्षी गठबंधन को भी बड़ा झटका लगेगा।

नीतीश ने एक तरह से तेजस्वी यादव को अपना उत्तराधिकारी घोषित करते हुए यह घोषणा की थी कि राजद नेता 2025 में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन का नेतृत्व करेंगे। नीतीश की इस घोषणा के बाद जद(यू) में नाराजगी फैल गई जिसके कारण उपेन्द्र कुशवाहा जैसे उनके करीबी सहयोगी को पार्टी छोड़नी पड़ी।

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