गाजा को जितनी मदद की जरूरत है उतनी मदद नहीं दी जा रही: यूएन
गाजा पट्टी में इजरायली सेना की भीषण बमबारी जारी है। साथ ही गाजा में ईंधन पूरी तरह खत्म हो चुका है। ऐसे में संयुक्त राष्ट्र को पीड़ितों तक मदद पहुंचाने में मुश्किल हो रही है। UN का कहना है कि गाजा को जितनी मदद की जरूरत है उतनी मदद नहीं दी जा रही है। गाजा का गला घोंटा जा रहा है। अब तक सिर्फ 84 ट्रक राहत सामग्री लेकर पहुंचे हैं। वहां रह रहे 23 लाख लोगों के लिए ये बेहद ही कम है।
भारी संख्या में फिलिस्तीनी शरणार्थियों को मानवीय मदद की जरूरत है। हजारों लोग बेघर हो चुके हैं और अपने खास जनों को खो चुके हैं। उन्हें खुले आसमान में रात गुजारनी पड़ रही है। गाजा युद्ध पीड़ितों को खाने-पीने के लिए कोई सामान मुहैया नहीं हो पा रहा है। युक्त राष्ट्र की एक एजेंसी ने फलस्तीनी शरणार्थियों से संबंधित सं बुधवार को चेतावनी दी कि गाजा पट्टी में ईंधन की तत्काल आपूर्ति नहीं होने से उसे गाजा पट्टी में राहत अभियानों में तेजी से कटौती करनी होगी।
इधर, वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) ने कहा- गाजा के अस्पतालों में फ्यूल की कमी है। यहां 12 बड़े अस्पतालों में हर दिन 94 हजार लीटर ईंधन की जरूरत है। ईंधन नहीं होने के कारण लोगों का इलाज करना मुश्किल हो रहा है। यहां हजार मरीज डायलिसिस और 130 बच्चे प्रीमैच्योर बेबी हैं। इन्हें फौरन इलाज की जरूरत है।
हमास ने दावा किया है कि इजरायली हमले में 50 बंधकों की मौत हो गई। इसके पहले हमास ने दावा किया था कि 20 बंधक इजराइली हमले में मारे गए हैं। दरअसल, 7 अक्टूबर को हमास के लड़ाके 200 से 250 इजरायली और विदेशी नागरिकों को बंधक बनाकर गाजा ले गए थे। इनमें से अब तक 4 बंधकों को रिहा किया गया है।
इजरायल जंग में स्पंज बम का इस्तेमाल कर रहा है। दरअसल, हमास सुरंगों से हमले कर रहा है। यहां तक इजराइली सेना की पहुंच नहीं है। ऐसे में इन हमलों से बचने के लिए इजरायल ने स्पंज बम बना रहा है। फोम से बना ये बम फटने के बाद ज्यादा से ज्यादा जगह में फैल जाता है और सख्त हो जाता है।
द टेलीग्राफ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इजरायल केमिकल ग्रेनेड की टेस्टिंग भी कर रहा है। इनमें कोई एक्सप्लोसिव नहीं होता। लेकिन इसका उपयोग सुरंगों की एंट्रेंस या किसी तरह के गैप को बंद करने में होता है।