गृहमंत्री के बायन की मांग पर एक दिन में 78 विपक्षी सासंद निलंबित

गृहमंत्री के बायन की मांग पर एक दिन में 78 विपक्षी सासंद निलंबित

संसद के शीतकालीन सत्र के 11वें दिन (18 दिसंबर) दोनों सदनों से 78 सांसद सस्पेंड कर दिए गए। असल में संसद में सुरक्षा चूक के मसले पर लोकसभा में लगातार चौथे दिन हंगामा हुआ। लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने 33 सांसदों को सस्पेंड कर दिया। इनमें नेता अधीर रंजन चौधरी समेत कांग्रेस के 11 सांसद, तृणमूल कांग्रेस के 9, डीएमके के 9 और 4 अन्य दलों के सांसद शामिल हैं।

संसद की सुरक्षा में हुई चूक पर गृहमंत्री और प्रधानमंत्री के बयान की संसद में मांग कर रहे विपक्ष के खिलाफ एक दिन में अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई हुई है। राज्यसभा के निलंबित सांसदों में से 11 का मामला विशेषाधिकार समिति को भेजा गया है। इनमें 30 सांसदों को पूरे सत्र के लिए निलंबित किया गया है, जबकि तीन कांग्रेस सांसदों की सदस्यता बहाली पर फैसला प्रिविलेज कमेटी लेगी। इन पर स्पीकर के पोडियम पर चढ़ने का आरोप है।

सोमवार को हंगामे और नारेबाजी के बाद लोकसभा से अधीर रंजन चौधरी, गौरव गोगोई, एन्टो एंटोनी, के. मुरलीधरन, के सुरेश, अमर सिंह, राजमोहन उन्नीथन, सु थिरूनवुक्करास, विजयकुमार वसंत, के जयकुमार, अब्दुल खालिक, टीआर बालू, ए राजा, दयानिधि मारन, गणेशन सेल्वम, सी एन अन्नादुरई, टी. सुमति, एस. एस. प्लानिमणिक्कम, एस. रामलिंगम, वी कलानिधि, कल्याण बनर्जी, सौगत राय, शताब्दी राय, असित कुमार माल, प्रतिमा मंडल, काकोली घोष, सुनील मंडल, प्रसून बनर्जी, अपरूपा पोद्दार, ईटी मोहम्मद बशीर, कनी के नवस, कौशलेंद्र कुमार और एनके प्रेमचंद्रन को निलंबित कर दिया गया।

लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने कार्यवाही शुरू होते ही 15 मिनट की स्पीच दी। कहा कि घटना पर राजनीति होना दुर्भाग्यपूर्ण है। हंगामा बढ़ा तो सदन की कार्यवाही 12 बजे तक स्थगित हो गई। बाद में यह 2 बजे और फिर कल तक के लिए स्थगित कर दी गई। सांसदों के निलंबन के बाद लोकसभा कल (मंगलवार) तक के लिए स्थगित हो गई।​​​

सांसदों को सस्पेंड करने का फैसला ऐसे समय में लिया गया है, जब 13 दिसंबर को संसद की सुरक्षा में सेंध लगाने के मामले पर सदन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या गृहमंत्री अमित शाह के बायन की मांग को लेकर विपक्षी सांसद लगातार सदन में विरोध कर रहे हैं। हालांकि, दोनों ही नेता टीवी इंटरव्यू और सभाओं में तो इस मामले पर बोल रहे हैं, लेकिन संसद में कोई भी जवाब देने को तैयार नहीं हैं।

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