तुर्की को इस्राइल से आख़िर क्यों है इतनी उम्मीद?!
तुर्की के राष्ट्रपति तैयब एर्दोग़ान ने अभी हाल ही में अपने बयान में कहा था कि इस्राइल के राष्ट्रपति इसहाक़ हरज़ोग जल्द ही तुर्की के दौरे पर आ सकते हैं, साथ ही उन्होंने यह भी संवाददाताओं से बात करते हुए अपने बयान में यह भी कहा था कि इस्राइल और तुर्की के बीच ऊर्जा समझौता भी हो सकता है।
तैयब एर्दोग़ान ने कहा था कि हम अभी इस्राइली राष्ट्रपति इसहाक़ हरज़ोग से बातचीत कर रहे हैं, वह तुर्की के दौरे पर आ सकते हैं, इस्राइली प्रधानमंत्री नफ़्ताली बेनेट का भी सकारात्मक रुख़ है, हम अपनी तरफ़ पारस्परिक लाभ के लिए सारी कोशिशें ज़रूर करेंगे, नेता के रूप में हमें एक दूसरे से लड़ने के बजाए शांति के साथ रहना चाहिए।
जब से तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोग़ान बने और सत्ता अपने हाथ में संभाली है तब से इस्राइल के साथ देश के द्विपक्षीय संबंध उतार चढ़ाव भरे रहे हैं, जबकि फ़िलीस्तीन के मुद्दे पर एर्दोग़ान इस्राइल पर हमला करते रहते हैं, लेकिन द्विपक्षीय रिश्तों को उन्होंने कभी ख़त्म नहीं किया।
इसी हफ़्ते गुरुवार को तुर्की के विदेश मंत्री मेव्लुत चोवाशुग्लू ने फ़ोन पर इस्राइल के विदेश मंत्री याएर लैपिड से बातचीत की, 13 सालों में यह पहली बार हुआ था जब दोनों देशों के शीर्ष नेताओं ने एक दूसरे से बातचीत की थी
लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि तैयब एर्दोग़ान जो ख़ुद को मुसलमानों का हमदर्द कहते हैं और ख़ास कर हर उस मामले में जिसमें ईरान नेतृत्व कर रहा हो बीच में दखलअंदाज़ी करते हैं आख़िर ऐसी क्या मजबूरी है जो इस्राइल से हाथ मिलाने को बेताब हैं?क्या निहत्थे फ़िलीस्तीनियों पर इस्राइल के हमले एर्दोग़ान भूल गए? क्या लेबनान समेत दर्जनों देशों में मुसलमानों की हत्या में इस्राइल का हाथ एर्दोग़ान भूल गए?