डबल्यूएचओ ने चेताया, कुपोषण के कारण एक लाख अफ़ग़ान बच्चों पर मौत का साया

डबल्यूएचओ ने चेताया, कुपोषण के कारण एक लाख अफ़ग़ान बच्चों पर मौत का साया डबल्यू एच ओ के प्रवक्ता ने अफ़ग़ानिस्तान में पांच साल से कम उम्र के दस लाख बच्चों को कुपोषण से मौत का खतरा बताते हुए अंतरराष्ट्रीय सहायता का आह्वान किया।

डबल्यू एच ओ की प्रवक्ता मार्गरेट हैरिस ने शुक्रवार को कहा कि अफगानिस्तान में पांच साल से कम उम्र के कम से कम दस लाख बच्चों को कुपोषण से मौत का खतरा है।

उन्होंने कहा “कुपोषण पूरे अफ़ग़ानिस्तान में एक बढ़ती स्वास्थ्य चुनौती बना हुआ है ऐसा अनुमान है कि वर्ष के अंत तक पांच वर्ष से कम आयु के लगभग 3.2 मिलियन बच्चे तीव्र कुपोषण का अनुभव करेंगे। इनमें से कम से कम दस लाख बच्चों को तत्काल उपचार के बिना तीव्र कुपोषण से मृत्यु का खतरा है।”

फार्स न्यूज एजेंसी के अनुसार हैरिस ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अफ़ग़ानिस्तान में बच्चों और जरूरतमंदों की मदद करने का आह्वान किया। इससे पहले, संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) ने घोषणा की थी कि इस साल के पहले छह महीनों में अफ़ग़ानिस्तान में हिंसा के परिणामस्वरूप 460 से अधिक बच्चों की मृत्यु हो चुकी है।

यूनिसेफ ने बच्चों की वर्तमान स्थिति को चिंता का विषय बताया और इस बात पर जोर दिया कि बच्चों की सुरक्षा और संरक्षण सरकार के कार्य क्षेत्रों में प्राथमिकता होनी चाहिए।

यूनिसेफ के प्रमुख सीमेंटा मोर्ट ने कहा “हम उन बच्चों के बारे में चिंतित हैं जो इस साल के बम विस्फोटों के परिणामस्वरूप मारे गए हैं। एक बच्चे की मौत भी बहुत दुखद है, हर नागरिक को बच्चों की रक्षा करने की कोशिश करनी चाहिए।”

साथ ही, डबल्यूएचओ ने अफ़ग़ानिस्तान में बच्चों की स्थिति में सुधार के लिए तत्काल सहायता का आह्वान किया। डबल्यू एच ओ की एक सदस्य हीथर बर्र ने कहा “हम अफ़ग़ानिस्तान में बच्चों की स्थिति को लेकर बहुत चिंतित हैं।अब इस देश की स्थिति अच्छी नहीं है और यह बदतर होती जा रही है। लेकिन जो मुद्दा हमें सबसे ज्यादा प्रभावित कर रहा है वह है भूख और कुपोषण। अफ़ग़ानिस्तान में दस लाख बच्चे कुपोषित हैं, और संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, उनमें से दस लाख बच्चों की मृत्यु का खतरा है।”

अफ़ग़ानिस्तान में दशकों की लड़ाई ने कई अफ़ग़ानों की ज़िंदगी बदल दी है। अफ़ग़ानिस्तान में युद्ध का प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जन्मपूर्व बच्चों पर भी हानिकारक प्रभाव पड़ा है, कुछ मामलों में तो उन्हें अक्षम भी कर दिया गया है।

युद्धों के अलावा, आर्थिक गरीबी उन मुद्दों में से एक रही है जिसने बच्चों को कड़ी मेहनत करने के लिए मजबूर किया है और वर्षों से शिक्षा के लाभों से दूर रहे हैं।

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