7 अक्टूबर, 2023 से अब तक अमेरिका ने इज़रायल को 11 बिलियन डॉलर के हथियारों की आपूर्ति की
इज़रायल के रक्षा मंत्रालय के अनुसार, 7 अक्टूबर, 2023 को गाजा में इज़रायली युद्ध की शुरुआत के बाद से अब तक अमेरिका ने इज़रायल को 11 बिलियन डॉलर के हथियार और सैन्य उपकरण प्रदान किए हैं। यह महत्वपूर्ण घोषणा तब सामने आई जब इज़रायल ने अविराम हैसन को अमेरिका में अपने प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख के रूप में नियुक्त किया।
अमेरिका से प्राप्त हथियारों की सूची: इज़रायल ने अमेरिकी सरकार से विभिन्न प्रकार के आधुनिक हथियार और सैन्य उपकरण प्राप्त किए हैं। इनमें प्रमुख रूप से शामिल हैं:
थर्ड एफ-35 स्क्वाड्रन: इज़रायल को यह अत्याधुनिक लड़ाकू विमान मिला है, जो उसकी वायुसेना की शक्ति को और बढ़ाता है।
टैंक: इज़रायल को नवीनतम टैंक और उनकी तकनीक प्राप्त हुई है, जो जमीन पर उसकी सैन्य क्षमता को मजबूत करता है।
सशस्त्र वाहनों के इंजन: इज़रायल ने अमेरिकी निर्मित सशस्त्र वाहनों के इंजन भी प्राप्त किए हैं, जिससे उसकी सैन्य वाहन बेड़ा और अधिक सक्षम हो गया है।
मुकाबला करने वाली गाड़ियां: इन गाड़ियों का उपयोग जमीन पर त्वरित और प्रभावी प्रतिक्रिया के लिए किया जाता है।
गाजा युद्ध के दौरान सैन्य सहायता: गाजा में जारी संघर्ष के दौरान, अमेरिका ने इज़रायल को नौसैनिक और थलसेना के जहाजों के माध्यम से हजारों टन की सैन्य सहायता प्रदान की है। यह सहायता इज़रायल के सैन्य अभियानों को निरंतरता और मजबूती प्रदान करने के लिए महत्वपूर्ण साबित हुई है।
मानवाधिकार और हताहत: इस संघर्ष के परिणामस्वरूप, गाजा में अब तक 39 हजार से अधिक फिलिस्तीनी मारे गए हैं, जबकि 90 हजार से अधिक घायल हुए हैं। इज़राइली हमलों के कारण गाजा में चिकित्सा सेवाओं की स्थिति अत्यंत दयनीय हो गई है, जिससे हजारों फिलिस्तीनियों को गंभीर कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
मानवीय सहायता की चुनौतियाँ: इज़रायल द्वारा गाजा पट्टी में सीमाओं को बंद करने के कारण वहां मानवीय सहायता की पहुंच अत्यंत कठिन हो गई है। इसके बावजूद, अंतरराष्ट्रीय समुदाय और कई गैर-सरकारी संगठनों ने प्रयास किए हैं कि किसी तरह आवश्यक चिकित्सा और खाद्य सहायता प्रभावित लोगों तक पहुंचाई जा सके।
इस बीच, इज़रायल और गाजा के बीच बढ़ते संघर्ष ने पूरे मध्य पूर्व में अस्थिरता और तनाव की स्थिति को और गंभीर बना दिया है। युद्ध का दायरा बढ़ने और अन्य देशों के इसमें शामिल होने की आशंका भी बढ़ गई है, जिससे वैश्विक स्तर पर चिंता का माहौल है।