पोलैंड और इस्राईल के विवाद की जड़ें द्वितीय विश्व युद्ध तक पहुंची

पोलैंड और इस्राईल के विवाद की जड़ें द्वितीय विश्व युद्ध तक पहुंची

पोलैंड की सीनेट ने शुक्रवार के दिन एक कानून पास करते हुए कहा है कि यहूदियों को द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान उनके परिवार से चुराया गया माल वापस लेने का अधिकार नहीं है।

पोलैंड और इस्राईल के बीच द्वितीय विश्वयुद्ध के समय पोलैंड में यहूदी परिवारों की संपत्ति को लेकर विवाद चल रहा है।
जेरूसलम पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार पोलैंड पार्लियामेंट ने जून के महीने में ही सीनेट के प्रस्ताव से पहले एक मसौदा पास किया था जिसके अनुसार 30 साल से अधिक पहले चोरी किए गए माल की बरामदगी को नामुमकिन बताया गया था। इस्राईल ने पोलैंड पार्लियामेंट के इस कानून को अनैतिक बताया था जिसके बाद दोनों देशों ने एक दूसरे के राजदूत को विदेश मंत्रालय में तलब किया था।

पोलैंड सीनेट के इस प्रस्ताव को पारित करने के बाद इस्राईल के विदेश मंत्री याईर लैपिड ने कहा है कि द्वितीय विश्व युद्ध में लूटे गए यहूदी परिवारों की संपत्ति को लौटाने पर रोक लगाने संबंधित पोलैंड का यह कानून दोनों देशों के संबंधों को नुकसान पहुंचाएगा। उन्होंने कहा कि होलोकास्ट के समय अपनी संपत्ति से वंचित कर दिए गए यहूदियों उनकी जायदाद को लौटाने संबंधित पोलैंड के कानूनों पर इस्राईल की गहरी निगाह है। हम पोलैंड पार्लियामेंट की कार्यवाही पर निगाह रखे हुए हैं। हम पूरी स्पष्टता के साथ होलोकास्ट का निशाना बनने वाले लोगों के सम्मान, अधिकार और उनकी संपत्ति की रक्षा के लिए तत्पर हैं।

उन्होंने कहा कि पोलैंड का यह कानून दोनों देशों के रिश्ते पर गहरा प्रभाव डालेगा। हम पहले भी कह चुके हैं कि पोलैंड इस बात को अच्छी तरह जानता है कि क्या सही है और क्या नहीं।

याद रहे कि पोलैंड पर जर्मनी के हमले से पहले यहां बड़ी संख्या में यहूदी रहते थे 1989 में पोलैंड के यहूदियों के वंशजों ने अपने पुरखों की प्रॉपर्टी एवं हर्जाने की मांग की।

कहा जाता है कि 1939 से 1945 तक चले द्वितीय विश्व युद्ध में पोलैंड के 6 मिलियन लोग मारे गए थे जिसमें आधे यहूदी संप्रदाय से संबंधित थे।

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