इज़रायल में आपातकाल की स्थिति एक और साल के लिए बढ़ाई गई
इज़रायली सरकार ने कब्जे वाले क्षेत्रों में आपातकाल की स्थिति को दिसंबर 2025 तक बढ़ाने का फैसला किया है। हिब्रू भाषा की प्रमुख वेबसाइट ‘वाई-नेट’ के मुताबिक, इस प्रस्ताव को इज़रायल की संसद (कनेस्सेट) ने मंजूरी दी है। यह निर्णय इज़रायली कैबिनेट के अनुरोध पर लिया गया, जो देश में सुरक्षा और प्रशासनिक कारणों से आपातकालीन स्थिति बनाए रखना चाहती है।
आपातकालीन स्थिति का प्रभाव और उद्देश्य
रिपोर्ट के अनुसार, आपातकालीन स्थिति लागू रहने के दौरान, इज़रायली कैबिनेट को विशेष अधिकार मिलते हैं। इन अधिकारों के तहत, कैबिनेट आपातकालीन नियम लागू कर सकता है, जो उसे संसद के कानूनों को दरकिनार करने की अनुमति देते हैं। ये आपातकालीन नियम केवल उसी समय तक वैध होते हैं, जब तक आपातकालीन स्थिति की आधिकारिक घोषणा प्रभावी रहती है। हालांकि आलोचकों का मानना है कि यह लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को कमजोर कर सकता है।
बजट घाटे में वृद्धि का कानून पारित
कनेस्सेट ने आपातकालीन स्थिति बढ़ाने के साथ ही एक और महत्वपूर्ण प्रस्ताव पर भी मुहर लगाई। आम सभा ने युद्ध के दौरान हुए भारी खर्चों को देखते हुए बजट घाटे को बढ़ाने से संबंधित एक नए कानून को दूसरी और तीसरी समीक्षा के बाद मंजूरी दी। इस कानून के पक्ष में कनेस्सेट के 62 सदस्यों ने वोट दिया, जबकि 52 सदस्यों ने इसका विरोध किया।
बजट घाटे और सरकारी खर्चों में बदलाव
नए कानून के अनुसार, 2024 में इज़रायल का बजट घाटा सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 7.7 प्रतिशत से अधिक नहीं होगा। इसके अलावा, सरकारी खर्चों में 2023 की तुलना में 17.8 प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी। यह निर्णय देश की युद्धकालीन स्थितियों के कारण बढ़ी हुई वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए लिया गया है। हालांकि, विरोध करने वाले सदस्यों का तर्क है कि इससे देश की आर्थिक स्थिरता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
आलोचनाएं और चिंता
इज़रायली कैबिनेट द्वारा आपातकालीन स्थिति को बढ़ाने और बजट घाटे में वृद्धि के कानून को मंजूरी मिलने के बाद विभिन्न स्तरों पर आलोचना हो रही है। मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि आपातकालीन स्थिति का लंबे समय तक जारी रहना अधिकारों और स्वतंत्रता पर प्रतिबंधों को बढ़ा सकता है। वहीं, आर्थिक विशेषज्ञों ने बजट घाटे को बढ़ाने के फैसले पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इससे देश के वित्तीय संतुलन पर गहरा असर पड़ सकता है।
सरकार का पक्ष
इज़रायली सरकार ने इन फैसलों का बचाव करते हुए कहा है कि मौजूदा सुरक्षा परिस्थितियों और युद्ध के दौरान आई वित्तीय चुनौतियों को देखते हुए ये कदम आवश्यक हैं। सरकार का दावा है कि ये फैसले देश की सुरक्षा और आर्थिक मजबूती को बनाए रखने के उद्देश्य से लिए गए हैं। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि इन फैसलों का इज़रायल की राजनीतिक और आर्थिक स्थिरता पर क्या असर पड़ता है, और क्या ये सरकार के दावों के अनुरूप ठोस परिणाम देते हैं।