सीरिया में सरकारी पदों के लिए दूसरे देशों के आतंकियों का चयन

सीरिया में सरकारी पदों के लिए दूसरे देशों के आतंकियों का चयन

सीरिया में हाल के वर्षों में जो घटनाएँ सामने आई हैं, उनमें एक बेहद चिंताजनक प्रवृत्ति यह है कि सरकारी पदों और रणनीतिक भूमिकाओं के लिए “जूलानी गुट” और बाहरी देशों के आतंकवादी समूहों से जुड़े विद्रोहियों को चुना जा रहा है। यह न केवल सीरिया की संप्रभुता और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि देश के आंतरिक मामलों में किस तरह बाहरी शक्तियाँ अपनी पकड़ मजबूत कर रही हैं।

जूलानी गुट की भूमिका
जूलानी गुट, जो कि अल-कायदा से जुड़ा एक आतंकवादी संगठन है, ने हाल के वर्षों में सीरिया के उत्तर-पश्चिमी इलाकों में अपनी ताकत बढ़ाई है। यह गुट केवल सैन्य शक्ति तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि अब यह प्रशासनिक और राजनीतिक क्षेत्रों में भी घुसपैठ कर रहा है। सीरिया के विभिन्न इलाकों में सरकारी पदों के लिए इस गुट से जुड़े व्यक्तियों को नियुक्त किया जाना एक गंभीर चेतावनी है।

जूलानी गुट का मुख्य उद्देश्य अपनी विचारधारा को सीरिया के शासकीय ढांचे में घुसाने का है। यह गुट बाहरी शक्तियों से मदद प्राप्त कर रहा है, जिनका लक्ष्य सीरिया को कमजोर करना और उसके आंतरिक ढांचे को तोड़ना है। इस प्रक्रिया में स्थानीय जनता और वैध प्रशासनिक तत्वों के लिए अवसर समाप्त हो रहे हैं, जिससे देश में अविश्वास और अस्थिरता और बढ़ रही है।

विद्रोही गुटों की घुसपैठ
जूलानी गुट के अलावा, अन्य विद्रोही गुट भी सीरिया के भीतर महत्वपूर्ण पदों और संसाधनों पर कब्जा जमाने की कोशिश कर रहे हैं। ये गुट बाहरी देशों से हथियार, वित्तीय मदद और रणनीतिक समर्थन प्राप्त कर रहे हैं। उनकी प्राथमिकता न तो सीरिया की जनता की भलाई है और न ही देश की स्थिरता। इन गुटों का मुख्य उद्देश्य अपने विदेशी समर्थकों के एजेंडे को बढ़ावा देना है।

विद्रोही गुट, जिनका अधिकांश समय हिंसा और आतंक फैलाने में बीता है, अब सरकारी पदों पर आसीन होकर देश की नीति निर्माण प्रक्रिया में हस्तक्षेप कर रहे हैं। यह सीरिया की संप्रभुता और स्वायत्तता के लिए बड़ा खतरा है।

बाहरी हस्तक्षेप और सीरिया की स्वायत्तता पर असर
विद्रोही गुटों और जूलानी जैसे संगठनों के सरकारी ढांचे में घुसपैठ की वजह से बाहरी शक्तियाँ सीरिया के आंतरिक मामलों पर प्रभाव डाल रही हैं। अमेरिका, तुर्की और कुछ अन्य पश्चिमी देशों ने इन गुटों का इस्तेमाल अपने राजनीतिक और सामरिक उद्देश्यों के लिए किया है। इन गुटों की नियुक्तियाँ सीरिया की जनता के लिए न्याय और पारदर्शिता के सिद्धांतों का उल्लंघन हैं।

सीरिया के लिए सबसे बड़ी समस्या यह है कि इस हस्तक्षेप के कारण देश का प्रशासनिक ढाँचा कमजोर हो रहा है। ऐसे लोग, जो हिंसा और आतंक में लिप्त रहे हैं, सरकारी पदों पर आसीन होकर न केवल निर्णय लेने की प्रक्रिया को प्रभावित कर रहे हैं, बल्कि देश की कानून व्यवस्था और सुरक्षा को भी कमजोर कर रहे हैं।

स्थिरता और समाधान के उपाय
सीरिया की जनता और वैध प्रशासन को इस स्थिति का विरोध करना चाहिए। जूलानी गुट और अन्य विद्रोही समूहों के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय को ठोस कदम उठाने होंगे।

स्थानीय नेतृत्व का सशक्तिकरण:
सीरिया के वैध और अनुभवी नेतृत्व को प्रोत्साहन देना होगा, ताकि वे अपनी भूमिका प्रभावी तरीके से निभा सकें।

बाहरी हस्तक्षेप का विरोध:
सीरिया के आंतरिक मामलों में बाहरी देशों के हस्तक्षेप को रोकने के लिए क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाना जरूरी है।

आतंकवादी गुटों पर प्रतिबंध:
जूलानी गुट और अन्य विद्रोही समूहों पर कड़े प्रतिबंध लगाने होंगे, ताकि उनकी प्रशासनिक और राजनीतिक गतिविधियों पर रोक लग सके।

जूलानी गुट और विद्रोही संगठनों का सरकारी पदों पर कब्जा केवल सीरिया के लिए नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए एक गंभीर खतरा है। यह न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा को कमजोर करता है, बल्कि सीरिया की जनता के अधिकारों और भविष्य को भी खतरे में डालता है। सीरिया को इस संकट से बचाने के लिए स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ठोस और त्वरित कार्रवाई की आवश्यकता है।

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