नेतन्याहू के आवास पर फ्लेयर फेंके जाने से सुरक्षा एजेंसियां सतर्क
इज़रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के क़ैसरिया स्थित निजी आवास पर फ्लेयर फेंके जाने की घटना ने सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क कर दिया है। इस घटना के संबंध में तीन संदिग्धों को गिरफ्तार किया गया है। इज़रायली मीडिया और सुरक्षा अधिकारियों ने इसे एक खतरनाक घटना बताते हुए सुरक्षा व्यवस्था की विफलता करार दिया है।
इज़रायली पुलिस और शिन बेट (आंतरिक सुरक्षा एजेंसी) के अनुसार, रात के समय फ्लेयर नेतन्याहू के घर के आंगन में गिरे। पुलिस को घटना की सूचना मिलते ही इलाके को घेर लिया गया और जांच शुरू की गई। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, घटना के दौरान किसी को चोट नहीं पहुंची, लेकिन इसे प्रधानमंत्री की सुरक्षा में गंभीर चूक के रूप में देखा जा रहा है।
सुरक्षा पर उठे सवाल
नेतन्याहू का निवास उच्च स्तरीय सुरक्षा के घेरे में रहता है। ऐसे में फ्लेयर का गिरना सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक चुनौती है। इज़रायली मीडिया ने इसे “सुरक्षा तंत्र की असफलता” बताते हुए कहा कि ऐसी घटनाएं प्रधानमंत्री की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा हैं।
इज़रायली अधिकारियों ने इस घटना को “गंभीर और खतरनाक कदम” बताया है। उन्होंने कहा कि इस तरह की घटनाओं को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और दोषियों को कड़ी सज़ा दी जाएगी। पुलिस और शिन बेट मामले की गहराई से जांच कर रहे हैं और यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि फ्लेयर फेंकने के पीछे का मकसद क्या था।
नेतन्याहू का घर हाल ही में लेबनान से आए ड्रोन हमलों का भी निशाना बन चुका है। अब घरेलू स्तर पर हुई इस घटना ने सुरक्षा व्यवस्था पर और गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि ये घटनाएं नेतन्याहू के खिलाफ बढ़ते विरोध और देश के अंदरूनी तनाव की ओर इशारा करती हैं।
गिरफ्तार किए गए तीनों संदिग्धों से पूछताछ जारी है। पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि यह घटना एक राजनीतिक विरोध का हिस्सा थी या इसके पीछे कोई और मकसद है। सुरक्षा एजेंसियों ने प्रधानमंत्री की सुरक्षा को और कड़ा कर दिया है और फ्लेयर गिरने के कारणों की जांच जारी है।
यह घटना इज़रायल के लिए न केवल सुरक्षा बल्कि राजनीतिक दृष्टिकोण से भी एक चुनौती है। प्रधानमंत्री की सुरक्षा में हुई यह चूक दिखाती है कि इज़रायल को बाहरी खतरों के साथ-साथ आंतरिक खतरों पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है। इस घटना को नेतन्याहू की नीतियों और ग़ाज़ा पर उनके हमले के विरोध के रूप में देखा जा रहा है।
हालांकि यह भी क़यास लगाए जा रहे हैं कि, इज़रायली सेना और नेतन्याहू प्रशासन की तरफ़ से ख़ुद इस प्रकार के हमले किए जा रहे हैं ताकि, इसे इज़रायली पीएम की सुरक्षा का मुद्दा बना कर लेबनान पर और ज़्यादा बमबारी की जा सके। साथ ही साथ ग़ाज़ा नरसंहार के विरुद्ध होने वाले यूरोपीय देशों के विरोध प्रदर्शन को भी दबाया जा सके।