संघर्ष-विराम प्रस्ताव पर लेबनान की अपनी शर्तों के साथ सहमति: लेबनानी सांसद
लेबनान और हिज़बुल्लाह ने अमेरिकी मध्यस्थता में किए जा रहे संघर्ष-विराम के प्रस्ताव पर अपनी सहमति व्यक्त की है। यह सहमति कुछ शर्तों और सुझावों के साथ दी गई है। इस महत्वपूर्ण घटनाक्रम की जानकारी “विकास और स्वतंत्रता” गठबंधन के सांसद अली हसन खलील ने दी। उन्होंने रॉयटर्स के साथ एक विशेष साक्षात्कार में कहा कि यह प्रस्ताव अब तक के सबसे गंभीर और प्रभावी प्रयासों में से एक है, जो युद्ध समाप्त करने की दिशा में किया गया है।
अली हसन खलील ने बताया कि अमेरिका के प्रतिनिधि अमोस होकस्टीन जल्द ही बेरूत का दौरा करेंगे। यह दौरा इस संघर्ष विराम प्रस्ताव पर बातचीत को आगे बढ़ाने और इसकी बारीकियों को अंतिम रूप देने के लिए होगा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अमेरिका इस समय मध्य पूर्व में तनाव को कम करने के लिए एक गंभीर भूमिका निभान चाहता है।
इस लेबनानी सांसद ने यह भी खुलासा किया कि लेबनान ने सोमवार को इस संघर्ष विराम प्रस्ताव पर अपनी लिखित प्रतिक्रिया अमेरिकी राजदूत को सौंप दी है। उन्होंने कहा कि इस प्रतिक्रिया में लेबनान ने अपनी कुछ प्रमुख शर्तों और सुझावों को स्पष्ट रूप से प्रस्तुत किया है। इन शर्तों का उद्देश्य लेबनान की संप्रभुता और क्षेत्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
संघर्ष -विराम की संभावनाएं
खलील ने यह भी कहा कि यह अमेरिकी प्रस्ताव युद्ध समाप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है, लेकिन यह केवल तभी सफल हो सकता है जब सभी पक्ष अपनी जिम्मेदारियों को समझें और ईमानदारी से इस प्रक्रिया में शामिल हों। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि लेबनान किसी भी संघर्ष-विराम का हिस्सा तभी बनेगा जब इसके राष्ट्रीय हितों की रक्षा सुनिश्चित होगी।
हिज़बुल्लाह की भूमिका
हिज़बुल्लाह, जो लंबे समय से लेबनान की रक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा में अहम भूमिका निभा रहा है, ने भी इस प्रस्ताव पर अपने सुझाव दिए हैं। हालांकि, खलील ने हिज़बुल्लाह की ओर से दी गई शर्तों और सुझावों का विवरण साझा नहीं किया, लेकिन उन्होंने संकेत दिया कि ये सुझाव क्षेत्र में स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए हैं।
अमेरिका और लेबनान के बीच हो रही इस बातचीत पर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की पैनी नजर है। मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव और हिंसा के बीच यह संघर्ष विराम प्रस्ताव क्षेत्र में शांति स्थापित करने का एक महत्वपूर्ण प्रयास माना जा रहा है।अली हसन खलील के अनुसार, लेबनान इस प्रस्ताव पर बातचीत जारी रखने के लिए तैयार है, लेकिन उसने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि संघर्ष-विराम तभी संभव होगा जब सभी पक्ष इसे गंभीरता से लें और इसके लिए ठोस कदम उठाएं।
इस घटनाक्रम से यह संकेत मिलता है कि लेबनान और हिज़बुल्लाह दोनों ही क्षेत्रीय शांति के लिए बातचीत के रास्ते को महत्व दे रहे हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि अमेरिका और अन्य पक्ष इस प्रस्ताव पर लेबनान की शर्तों को किस तरह स्वीकार करते हैं और क्षेत्र में स्थिरता लाने के लिए क्या कदम उठाए जाते हैं।