अरब देशों में जनता के विरोध के बावजूद बढ़ रहा है इस्राईल का प्रभाव

अरब देशों में जनता के विरोध के बावजूद बढ़ रहा है इस्राईल का प्रभाव खाड़ी के अरब देशों और इस्राईल के संबंध इस समय अपने स्वर्णिम दौर से गुजर रहे हैं।

अरब देशों में जनता के भरपूर विरोध के बावजूद भी इस्राईल का प्रभाव दिन प्रतिदिन बढ़ रहा है। अरब जनता इस्राईल के साथ किसी भी प्रकार के संबंध, समझौते और तालमेल के खिलाफ है। इस्राईल के साथ संबंधों के सामान्यकरण या एक देश के रूप में इस्राईल को मान्यता देना वर्जित है।

इस्राईल से कोई दूर का देश हो, या निकट पड़ोसी, भाई हो या कजिन, कोई व्यक्ति विशेष हो या कोई गिरोह, इस्राईल के साथ संबंध किसी भी रूप में स्वीकार नहीं है। इस्राईल के साथ संबंधों का सामान्यकरण सबसे अधिक फिलिस्तीन और उनके न्याय संगत अधिकारों को नुकसान पहुंचाएगा और यह बात स्वीकार्य नहीं है।

जो भी चाहता है कि वह फिलिस्तीन के अरमानों पर पानी फेरे और इस बात का दावा करें कि इस्राईल के साथ सामान्य संबंध फिलिस्तीन के हित में होंगे, हम उससे स्पष्ट कहना चाहेंगे तुम्हारा प्रोजेक्ट किसी काम का नहीं है इसके लिए नए आदमी तलाश करो। फिलिस्तीन की अधिकांश जनता इस बात को स्वीकार नहीं करती कि कुछ लोग आएं और फिलिस्तीन के नाम पर वार्ता करें और उनकी धरती और उनके देश पर कब्जा करने वाले लोगों के साथ वार्ता करते हुए फिलिस्तीन संकट के समाधान के दावे करें।

फिलिस्तीन और उसके अधिकारों को फिलिस्तीन, अरब जगत और दुनिया भर में रहने वाले उन लोगों के हवाले कर दीजिये जो फिलिस्तीन के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इस्राईल के साथ सहयोग करना और उनके साथ समझौतों पर हस्ताक्षर करना वो भी उस समय जब इस्राईल, फिलिस्तीन की जनता के खिलाफ बर्बर युद्ध छेड़े हुए हैं इस्राईल को यह अवसर प्रदान करता है कि वह फिलिस्तीनियों के खून से और होली खेले और उनके मौलिक अधिकारों का हनन करे।

हम कहना चाहेंगे कि सामनायकरण की एक अन्य राह भी है और वह यह कि सामान्यकरण के काम को अरब शासकों के महलों के बजाए अरब जनता पर छोड़ दिया जाए और यह कई देशों में चलन में भी है। हम देख रहे हैं कि बहुत से देश इस्राईल को एक सामान्य देश के रूप में मान्यता देने के लिए हाथ पैर मार रहे हैं ताकि उसके साथ संबंधों को समान्य ढंग से आगे बढ़ाया जा सके चाहे दोनों पक्षों के बीच कुछ बातों पर मतभेद ही हों।

किसी को भी भरोसा नहीं होगा कि हम इन प्रयासों के जवाब में खामोश बैठे रहेंगे। अरब जगत और अरब समुदाय के बहुत से लोग सच्चाई की रक्षा और इस झूठ का मुकाबला करने के लिए तैयार हैं। हम खुलकर ऐलान कर रहे हैं कि फिलिस्तीन को अकेला नहीं छोड़ेंगे और ना ही उसके अधिकारों का हनन बर्दाश्त करेंगे।

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