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इज़रायल के पूर्व अटॉर्नी जनरल का क़बूलनामा, हम ग़ाज़ा में नरसंहार कर रहे हैं

इज़रायल के पूर्व अटॉर्नी जनरल का क़बूलनामा, हम ग़ाज़ा में नरसंहार कर रहे हैं

जिस इज़रायल ने अपने इतिहास में होलोकॉस्ट की त्रासदी का दावा करके दुनिया की हमदर्दी बटोरी, वही आज ग़ाज़ा की धरती पर वहशियाना बमबारी कर रहा है। अब इस सच्चाई पर खुद इज़रायल के ही अंदर से आवाज़े उठने लगी हैं — वो भी किसी एक्टिविस्ट की नहीं, बल्कि इज़रायल के पूर्व अटॉर्नी जनरल और सुप्रीम कोर्ट के जज मिखाएल बेन याईर की।

बेन याईर ने साफ़ कहा:
“यहूदी जो 80 साल पहले नरसंहार का शिकार हुए थे, आज ग़ाज़ा में वही नरसंहार कर रहे हैं। शर्मनाक है, ग़ुस्से से भरा और दुखद।” जब एक देश का सबसे ऊँचा क़ानूनी पद संभाल चुका व्यक्ति खुद यह माने कि उसकी सरकार एक पूरी आबादी को मिटाने पर तुली है, तो और क्या सबूत चाहिए कि इज़रायल एक बर्बर राज्य बन चुका है?

फ़िलस्तीन के स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि अब तक 60,000 से ज़्यादा लोग शहीद और 1,45,000 से ज़्यादा ज़ख़्मी हो चुके हैं। इनमें ज़्यादातर बच्चे, महिलाएं और बुज़ुर्ग हैं, यानी वो लोग जो किसी जंग का हिस्सा नहीं हैं, सिर्फ़ इसके शिकार हैं। इसी के साथ दो प्रमुख इज़रायली मानवाधिकार संगठनों, बेत्सेलेम और फिजिशियन्स फॉर ह्यूमन राइट्स ने भी इज़रायल की फौजी रणनीति को नरसंहार (Genocide) की परिभाषा में रखा है।

उनका कहना है:
“ग़ाज़ा की पूरी आबादी को ऐसी ज़िंदगी दी जा रही है जिसमें वो टिक ही नहीं सकती। ये जानबूझकर की जा रही तबाही है। यही नरसंहार है। अब सवाल यह नहीं है कि इज़रायल क्या कर रहा है, बल्कि यह है कि दुनिया क्यों खामोश है? कब तक ‘होलोकॉस्ट’ की ढाल लेकर इज़रायल कब तक खुद ‘न्यू होलोकॉस्ट’ करता रहेगा, और वह भी मासूम फ़िलस्तीनियों पर? ग़ाज़ा में बम नहीं गिर रहे, इंसानियत मर रही है। और इस बार हत्यारा कोई आतंकी संगठन नहीं, बल्कि एक तथाकथित लोकतांत्रिक देश है जिसका समर्थन दुनिया की सबसे बड़ी ताक़तें कर रही हैं।

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