इज़रायल का लेबनान में ‘सीमित ऑपरेशन’ का दावा और इसके पीछे की रणनीति
इज़रायल और लेबनान के बीच तनावपूर्ण स्थिति लंबे समय से जारी है, और इस बीच इज़रायली सेना ने लेबनान में एक ‘सीमित ऑपरेशन’ शुरू करने का दावा किया है। अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी फ़ार्स की रिपोर्ट के अनुसार, इस दावे को ऐसे समय में किया गया है जब पश्चिमी देशों का समर्थन इज़रायल की सैन्य कार्रवाई के लिए लगातार बना हुआ है। इज़रायल ने दावा किया कि उसकी 98वीं डिवीजन के सैनिक, जो ग़ाज़ा युद्ध में शामिल थे और उन्होंने वहां ऑपरेशनल अनुभव प्राप्त किया, अब लेबनान के उत्तर की ओर बढ़ रहे हैं।
इज़रायली सेना ने अपने आधिकारिक एक्स (पूर्व में ट्विटर) अकाउंट पर बयान जारी करते हुए बताया कि उनका यह ऑपरेशन सोमवार रात से शुरू हुआ और इसे ‘सीमित, स्थानीय और लक्षित’ बताया जा रहा है। इसका मतलब यह है कि इज़रायल का यह ऑपरेशन व्यापक सैन्य कार्रवाई की बजाय विशेष क्षेत्रों में छोटे स्तर पर किया जा रहा है, जहां विशेष लक्ष्यों को निशाना बनाया जा रहा है।
हालांकि, यह दावा ऐसे समय पर किया गया है जब ग़ाज़ा में इज़रायल की सालभर चली सैन्य कार्रवाई को व्यापक रूप से विफल माना जा रहा है। इसके बावजूद इज़रायल की यह कार्यवाई इस बात की तरफ़ इशारा कर रही है कि ग़ाज़ा ही की तरह लेबनान में भी इज़रायल के निशाने पर वहां के आम नागरिक, औरतें और मासूम बच्चे ही होंगे, जिनके नरसंहार को इज़रायल अपनी कामयाबी और जीत समझता है। इज़रायल ने अपनी नई सैन्य रणनीति में इस ऑपरेशन को लेकर नए उद्देश्य बताए हैं। इज़रायली सेना ने कहा है कि उनका लक्ष्य हमास का पूर्ण उन्मूलन, अपने बंधकों की वापसी, और उत्तरी इज़रायल में सुरक्षा की बहाली है।
इस पूरी स्थिति का विश्लेषण किया जाए तो यह साफ़ है कि इज़रायल अपनी पुरानी रणनीतियों को पुनः अपनाकर क्षेत्रीय संघर्ष को और बढ़ाने की ओर बढ़ रहा है। पश्चिमी देशों की तरफ से मिल रहे राजनीतिक और सैन्य समर्थन की वजह से इज़रायल अपनी आक्रामक नीति को और अधिक बल दे रहा है। दूसरी ओर, लेबनान के हिज़्बुल्लाह और अन्य समूह भी इज़रायल के इस कदम का कड़ा विरोध कर सकते हैं, जिससे इस क्षेत्र में और अधिक संघर्ष की संभावना बन सकती है।
इस पूरे परिदृश्य में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि इज़रायल की यह नई रणनीति कितनी सफल होती है और यह क्षेत्रीय स्थिरता और शांति को कैसे प्रभावित करती है। लेकिन इतना तो तय है कि, इज़रायल के अत्याचार और उसकी दमनकारी नीति को पूरे यूरोप का समर्थन हासिल है। न केवल समर्थन हासिल है बल्कि, उसे यूरोपीय देशों से जैविक हथियारों की सप्लाई भी हो रही है।