इज़रायली संसद में आत्मघाती हमलों के खिलाफ विवादित कानून पारित

इज़रायली संसद में आत्मघाती हमलों के खिलाफ विवादित कानून पारित

इज़रायली संसद ‘नेसेट’ ने फिलिस्तीनियों पर दबाव बनाने और आत्मघाती हमलों को रोकने के उद्देश्य से एक विवादास्पद कानून को मंजूरी दी है। इज़रायली समाचार चैनल 7 के अनुसार, इस कानून को दूसरी और तीसरी पढ़ाई में 61 वोटों के समर्थन और 41 विरोध के साथ पास किया गया। इस कानून के तहत, इज़रायली आंतरिक मामलों के मंत्री को यह अधिकार दिया गया है कि वह आत्मघाती हमलों के हमलावरों के परिवार के उन सदस्यों को निर्वासित कर सकते हैं, जिन्हें हमले की योजना की जानकारी होने के बावजूद इसे रोकने का प्रयास नहीं किया गया था।

इस प्रस्ताव में कहा गया है कि यदि मंत्री यह साबित कर लेते हैं कि किसी सदस्य को हमले के बारे में पहले से पता था और उसने इसे रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाया, तो उन्हें ग़ाज़ा पट्टी या किसी अन्य निर्दिष्ट क्षेत्र में निर्वासित किया जा सकता है। इस कानून के मुताबिक, हमलावर के परिवार के सदस्यों को अधिकतम 20 वर्षों तक निर्वासित रखने का अधिकार भी मंत्री को मिल गया है।

इज़रायली अखबार हारेट्ज़ ने इस कानून को विवादास्पद करार दिया
इजरायली अखबार हारेट्ज़ ने भी इस कानून पर चर्चा करते हुए इसे बेहद विवादास्पद करार दिया है, जो परिवारों को उनकी भूमि से जबरन निकालने की नीतियों को आगे बढ़ाने का प्रतीक है। हाल के दिनों में ग़ाज़ा पट्टी पर इज़रायली सेना के भीषण हमलों और एक लाख से अधिक फिलिस्तीनियों के मारे जाने के बाद इज़रायल के कब्जे वाले क्षेत्रों में आत्मघाती हमलों की घटनाओं में वृद्धि दर्ज की गई है।

गौरतलब है कि ‘नेसेट’ पहले भी कब्जे वाले इलाकों में संयुक्त राष्ट्र राहत एवं कार्य एजेंसी (UNRWA) की गतिविधियों पर रोक लगाने का कानून पारित कर चुका है। इस निर्णय की विश्व स्तर पर आलोचना हुई थी, और कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों और देशों ने इस कानून को रद्द करने की मांग की थी। इसके अलावा, इज़रायली संसद ने कुछ महीने पहले फिलिस्तीन के स्वतंत्र देश बनने के विरोध में भी एक प्रस्ताव को मंजूरी दी थी, जिससे फिलिस्तीन के संप्रभुता अधिकारों पर एक और प्रहार माना जा रहा है।

मानवाधिकार संगठनों ने भी इस कानून को अमानवीय करार दिया
इस कानून को लेकर इज़रायल के अंदर और बाहर व्यापक विरोध देखा जा रहा है। कई मानवाधिकार संगठनों ने इस कानून को अमानवीय करार दिया है और इसे अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन बताया है।

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