इज़रायली सेना ने 319 बार लेबनान के साथ युद्धविराम का उल्लंघन किया
लेबनान की आधिकारिक समाचार एजेंसी के अनुसार, इज़रायल की सेना ने हाल ही में लेबनान के साथ हुए युद्ध-विराम समझौते का बार-बार उल्लंघन किया है। पोर्टल “अरब48” ने अपनी रिपोर्ट में शनिवार को बताया कि इज़रायल द्वारा अब तक कुल 319 बार युद्ध-विराम का उल्लंघन किया जा चुका है। यह समझौता लगभग 32 दिन पहले दोनों पक्षों के बीच हुआ था, लेकिन इसके बावजूद इज़रायल ने इसे गंभीरता से नहीं लिया और अपनी आक्रामक गतिविधियों को जारी रखा।
युद्ध-विराम उल्लंघन के प्रमुख स्थान और घटनाएं
रिपोर्ट में बताया गया है कि हाल के उल्लंघन की घटनाएं “बिन्त जबील,” “सूर” और “ज़हले” जिलों में हुईं। इन घटनाओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
हवाई हमले:
इज़रायली लड़ाकू विमानों ने लेबनान के “ज़हले” जिले के हवाई क्षेत्र का उल्लंघन किया। ये विमान कम ऊंचाई पर उड़ते हुए देखे गए, जिससे स्थानीय निवासियों में दहशत फैल गई। इसके बाद उन्होंने “क़ुसाया” के जंगलों में तीन स्थानों पर बमबारी की।
तोपखाने से हमले:
इज़रायली तोपखाने ने दो बार लगातार लेबनान के “बिन्त जबील”, “ऐता अल-शा’ब” और “सूर” जिलों के विभिन्न क्षेत्रों को निशाना बनाया।
घरों को तबाह करना:
तोपखाने के हमलों के साथ-साथ इज़रायली सेना ने “यारून” और “अल-नाकौरा” क्षेत्रों में कई घरों को नष्ट कर दिया। इन हमलों से बड़ी संख्या में स्थानीय नागरिक बेघर हो गए हैं।
स्थानीय निवासियों में भय का माहौल
इन हमलों ने स्थानीय नागरिकों में डर और असुरक्षा की भावना को बढ़ा दिया है। “अरब48” ने यह भी बताया कि इन घटनाओं के चलते लेबनान के दक्षिणी इलाकों में कई गांवों को खाली करना पड़ा है। लोग अपने परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने के लिए मजबूर हो गए हैं।
लेबनान का विरोध और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
लेबनानी अधिकारियों ने इन हमलों को लेकर कड़ा विरोध जताया है। उन्होंने इसे न केवल युद्धविराम समझौते का उल्लंघन कहा, बल्कि इसे लेबनान की संप्रभुता और अंतरराष्ट्रीय कानूनों का खुला उल्लंघन भी बताया।
लेबनान ने इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में उठाने की योजना बनाई है। वहीं, इज़रायल की इन कार्रवाइयों पर अभी तक कोई ठोस अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन कई मानवाधिकार संगठनों ने इसे “अमानवीय और आक्रामक कार्रवाई” करार दिया है।
यह युद्ध-विराम समझौता लेबनान और इज़रायल के बीच सीमा पर बढ़ते तनाव को कम करने के लिए किया गया था। इस समझौते के तहत दोनों पक्षों को एक-दूसरे के खिलाफ सैन्य कार्रवाई रोकनी थी। हालांकि, इज़रायल द्वारा लगातार किए जा रहे उल्लंघन से स्पष्ट है कि वह इस समझौते को गंभीरता से लेने के लिए तैयार नहीं है।
इज़रायल की आक्रामकता ने लेबनान में न केवल शांति प्रयासों को कमजोर किया है, बल्कि वहां के आम नागरिकों की जिंदगी को भी मुश्किल बना दिया है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इन उल्लंघनों पर ध्यान देना होगा और इज़रायल को जवाबदेह ठहराना होगा, ताकि भविष्य में इस तरह के उल्लंघनों को रोका जा सके।

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