ग़ाज़ा पट्टी में हमास जीत गया

ग़ाज़ा पट्टी में हमास जीत गया

हमास और इज़रायल के बीच हाल ही में हुए संघर्ष के बाद, इज़रायली मीडिया की रिपोर्टों ने खुलकर यह स्वीकार किया है कि इस युद्ध में हमास ने अपने लक्ष्यों को हासिल किया है, जबकि इज़रायल को राजनीतिक और सैन्य स्तर पर असफलता का सामना करना पड़ा। यह रिपोर्टें उस समय सामने आई हैं जब दोनों पक्षों के बीच युद्ध-विराम समझौते की घोषणा हुई है, जो रविवार से लागू होने की संभावना है।

इज़रायली समाचार चैनल i24NEWS ने अपनी रिपोर्ट में कहा, “हमास ने जहाज़ पट्टी में इज़रायल को कोई ठिकाना बनाने नहीं दिया। इस तरह हम अपने घोषित लक्ष्यों को प्राप्त करने में असफल रहे।” इसके साथ ही रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि ग़ाज़ा पट्टी का प्रबंधन पूरी तरह से हमास के हाथों में है और इस संघर्ष के बाद इज़रायल क्षेत्रीय वास्तविकता को बदलने में विफल रहा।

इज़रायल की विफलता पर इज़रायली विश्लेषकों का बयान
यादीत अहरोनी अखबार के सैन्य विश्लेषक योसी योशुआ ने अपनी रिपोर्ट में कहा, “15 महीने के संघर्ष के बाद, यह स्पष्ट हो गया है कि प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने राजनीतिक रूप से हार का सामना किया है। सेना और इसके चीफ ऑफ स्टाफ हर्ज़ी हलेवी भी सैन्य मोर्चे पर विफल रहे। इज़रायल हमास पर विजय पाने में असफल रहा और इसके राजनीतिक और सैन्य नेतृत्व दोनों ने एक साथ हार का सामना किया।”

बता दें कि, नेतन्याहू ने ग़ाज़ा पर आक्रमण के पहले दिन यानी 7 अक्टूबर 2023 को यह घोषणा की थी कि हमास का सैन्य और राजनीतिक विनाश और इज़रायली बंदियों की वापसी इस युद्ध के मुख्य उद्देश्य होंगे। नेतन्याहू ने इस बात पर ज़ोर दिया था कि, वह हमास को नाबूद कर देंगे और अपने बंधकों को हमास के चंगुल से छुड़ा कर लाएंगे। दो महीने पहले तक नेतान्यहू यही कह रहे थे कि, उन्होंने हमास को ख़त्म कर दिया है। लेकिन महीनों की बातचीत और संघर्ष को लंबा खींचने के बाद, इज़रायल को अंततः हमास के साथ समझौता करना पड़ा।

हमास की ताकत
हमास ने इस संघर्ष में अपनी रणनीतिक ताकत और प्रबंधन कौशल का प्रदर्शन किया।
ग़ाज़ा का प्रबंधन: हमास ने इज़रायल को ग़ाज़ा पट्टी में प्रवेश करने या कोई स्थायी उपस्थिति स्थापित करने से रोकने में सफलता हासिल की। ग़ाज़ा अब भी पूरी तरह से हमास के नियंत्रण में है।
सैन्य क्षमता: हमास ने अपने सैन्य ढांचे को मजबूत रखा और अपनी रॉकेट क्षमताओं और सुरंगों की रणनीति के माध्यम से इज़रायली सेना को कड़ी चुनौती दी।
आंतरिक समर्थन: ग़ाज़ा के निवासियों के बीच हमास की लोकप्रियता बनी रही, जो उनकी संगठित योजनाओं और दृढ़ इच्छाशक्ति का प्रमाण है।
राजनीतिक मजबूती: हमास ने क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खुद को एक प्रभावी और अडिग शक्ति के रूप में प्रस्तुत किया।
इज़रायल की असफलता: इज़रायल ग़ाज़ा में स्थायी प्रभाव छोड़ने में नाकाम रहा, और हमास ने इस संघर्ष को अपनी कूटनीतिक और सैन्य ताकत का सबूत बना दिया।

हमास की जीत के संकेत
हमास ने ग़ाज़ा पट्टी पर अपनी पकड़ को और मजबूत किया है। इज़रायली मीडिया और सैन्य विशेषज्ञों की स्वीकारोक्ति इस बात का संकेत है कि हमास केवल एक स्थानीय संगठन नहीं बल्कि एक सशक्त राजनीतिक और सैन्य ताकत बन चुका है। इज़रायल की सेना और नेतृत्व, जो ग़ाज़ा में निर्णायक जीत का दावा कर रहे थे, अपनी रणनीतियों में विफल रहे।यह संघर्ष केवल इज़रायल और हमास के बीच नहीं था, बल्कि यह ग़ाज़ा के लोगों के संघर्ष, उनके धैर्य और उनके नेतृत्व की क्षमता का प्रदर्शन भी था। हमास की इस सफलता ने क्षेत्रीय राजनीति में उसके प्रभाव को और अधिक बढ़ा दिया है।

ईरान के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह ख़ामेनई की भविष्यवाणी
इज़रायल ने जब ग़ाज़ा निवासियों का जनसंहार करके वहां की ज़मीन को वहीं के मासूम, बेगुनाह और निर्दोष बच्चों, महिलाओं, बुज़र्गों के लिए क़ब्रिस्तान बना दिया था और अपने इस अत्याचार और नरसंहार पर अपनी पीठ थपथपाते हुए कहा था कि, हमने हमास को नाबूद कर दिया, उस वक़्त ईरान के सर्वोच्च नेता सैयद अली ख़ामेनेई ने कहा था कि, हमास ज़िंदा है। आज इज़रायल द्वारा युद्ध-विराम पर मजबूर होना बताता है कि, उनकी भविष्यवाणी कितनी सटीक और सही थी।

याद रहे कि, हमास से पहले लेबनानी प्रतिरोध समूह हिज़्बुल्लाह महासचिव, शहीद सैयद हसन नसरुल्लाह की शहादत के बाद जब इज़रायल समेत पूरी दुनियां को लग रहा था कि, हिज़्बुल्लाह ख़त्म हो गया है, उस वक़्त ईरानी सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने कहा था कि, हिज़्बुल्लाह ज़िंदा है। उनकी इस भविष्यवाणी के बाद हिज़्बुल्लाह के मुजाहिदों ने अपनी ताक़त का परिचय देते हुए इज़रायल को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था, और बाद में इज़रायल को युद्ध-विराम समझौते पर मजबूर होना पड़ा। उनकी इस सटीक भविष्यवाणी ने साबित कर दिया कि, हिज़्बुल्लाह के पास सैंकड़ों हसन नसरुल्लाह, और हमास के पास सैंकड़ों इस्माईल हानिये और यहिया सिनवार मौजूद हैं।

इस संघर्ष के बाद इज़रायली नेतृत्व और उसकी सेना को भारी आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है। वहीं, हमास ने अपनी सैन्य, राजनीतिक और रणनीतिक ताक़त का ऐसा प्रदर्शन किया है, जिसने न केवल इज़रायल को चुनौती दी है, बल्कि पूरी दुनिया का ध्यान ग़ाज़ा की स्थिति और वहां के संघर्ष पर केंद्रित किया है। अब देखना है कि, आने वाला समय ग़ाज़ा के निवासियों के लिए कैसा साबित होता है, क्योंकि, इज़रायल हमेश वादा ख़िलाफ़ी और युद्ध-विराम समझौते के उल्लंघन लिए जाना जाता है, और इसने कई बार इसे सिद्ध भी किया है। लेबनान में युद्ध-विराम समझौता करने के बाद भी उसने कई बार समझौते का उल्लंघन करते हुए सीज़फायर किया है।

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