ईरानी प्रतिरोध की ग्यारहवीं लहर से इज़रायली शासन में दहशत
तेहरान से मिली जानकारी के अनुसार, ईरान ने इज़रायली शासन द्वारा हाल ही में किए गए हमलों के जवाब में एक नई और सघन मिसाइल लहर शुरू की है, जिसे अब तक का ग्यारहवां जवाबी हमला बताया जा रहा है। ईरानी अधिकारियों ने इसे अपने “प्रतिरोध अभियान” का हिस्सा करार दिया है, जो क़ब्ज़े वाले फ़िलिस्तीनी क्षेत्रों में इज़रायली बर्बरता के खिलाफ जारी है। इस अभियान का उद्देश्य केवल सैन्य जवाब देना नहीं, बल्कि ज़ायोनी बर्बरता के विरुद्ध एक स्पष्ट और कठोर संदेश देना भी है कि, ईरान अपने भूभाग पर आक्रमण को किसी भी स्थिति में सहन नहीं करेगा।
ईरान द्वारा दाग़ी गई इन मिसाइलों ने क़ब्ज़े वाले फ़िलिस्तीनी इलाक़ों, विशेषकर तेल अवीव और उसके आस-पास के संवेदनशील ठिकानों को निशाना बनाया। ज़ायोनी मीडिया संस्थानों ने भी पुष्टि की है कि, कई जगहों पर तेज़ धमाकों की आवाज़ें गूंजी हैं, जिससे पूरे इलाके में दहशत फैल गई है।
हालांकि अब तक हताहतों और क्षति की पूरी जानकारी सामने नहीं आई है, लेकिन ज़मीनी सूत्रों के अनुसार, कुछ इमारतों को नुकसान पहुंचा है और सैन्य प्रतिष्ठानों पर भी प्रभाव पड़ा है। विश्लेषकों का मानना है कि ईरान की यह कार्रवाई केवल एक सैन्य प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि एक राजनीतिक संदेश भी है कि, तेहरान अपने देश पर होने वाले हमले को कभी भी बर्दाश्त नहीं करेगा। वह अपने दुश्मन को ऐसा जवाब देगा, जिसे वह हमेशा याद रखेगा।
क्षेत्र में तनाव एक बार फिर चरम पर है, और यह मिसाइल हमला भविष्य में और व्यापक टकराव का संकेत हो सकता है। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय इस स्थिति पर गहरी नज़र रखे हुए है, लेकिन मूक दर्शक बनकर, क्योंकि इज़रायल के अवैध हमले पर उसके ख़िलाफ़ कोई कार्यवाई नहीं हुई है। हद तो यह है कि, G7 में यूरोपीय देश उसके अवैध और निंदनीय हमले को आत्म रक्षा का नाम दे रहे हैं।

