युद्ध-विराम समझौता बहुत महंगा साबित हुआ: इज़रायली शिक्षामंत्री
ऐसे समय में जब इज़राइली कैबिनेट की बैठक ने युद्ध-विराम समझौते पर मतदान के के बाद इसे मंज़ूरी दे दी है, इज़रायली शिक्षा मंत्री “योआव किश” ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा: “मैंने कैबिनेट बैठक में युद्ध-विराम समझौते के पक्ष में मतदान किया।” उन्होंने आगे लिखा, “इस समझौते की कीमत बहुत भारी है, लेकिन हमारे पास एक उच्च नैतिक कर्तव्य है कि हम अपने भाइयों और बहनों को उनके घरों में वापस लाएं।”
इज़रायली मंत्री ने ग़ाज़ा युद्ध में इज़रायल के लक्ष्यों को हासिल न कर पाने की बात को अप्रत्यक्ष रूप से स्वीकारते हुए दावा किया: “चाहे जितना समय लगे, हम अपने युद्ध के उद्देश्यों को नहीं छोड़ेंगे, यानी सभी भाइयों और बहनों को घर वापस लाना, बंधकों को स्वदेश लाना, हमास सरकार को गिराना, और यह सुनिश्चित करना कि इज़रायल के लिए खतरा न बने।”
कुछ समय पहले, इज़रायल के चैनल 12 ने रिपोर्ट दी थी कि, प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की कैबिनेट बैठक युद्ध-विराम और बंदियों की अदला-बदली पर सहमति के बाद खत्म हो चुकी है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, सभी कैबिनेट सदस्यों के मतदान के बाद, बैठक में विचार-विमर्श शुरू हुआ जिसमें मंत्रियों ने समझौते पर अपनी राय रखी।
इस बीच, इज़रायल के विदेश मंत्री “गिडोन सार” ने शुक्रवार को स्वीकार किया कि “युद्ध शुरू होने के महीनों बाद भी, हम एक भी बंधक को जीवित छुड़ाने में सफल नहीं हो सके।” सार ने कहा कि इस तथ्य ने कैबिनेट के सदस्यों पर एक बड़ी जिम्मेदारी डाल दी है। उन्होंने स्वीकार किया, “हमने हमास पर शक्तिशाली प्रहार तो किए, लेकिन उसके खिलाफ अपने युद्ध के उद्देश्यों को पूरा नहीं कर सके।”
इज़रायली मीडिया ने हमास और इज़रायल के बीच युद्ध-विराम समझौते की घोषणा के बाद स्वीकार किया कि “हमास ने अपने उद्देश्य को हासिल किया और इसके विपरीत, इज़रायल अपने उद्देश्य में विफल रहा।” इज़रायली चैनल i24NEWS ने इस संबंध में रिपोर्ट प्रकाशित की और कहा: “हमास ने सफलतापूर्वक इज़रायल को ग़ाज़ा पट्टी में पैर जमाने नहीं दिया, और इस प्रकार, हम अपने युद्ध के लक्ष्यों को प्राप्त नहीं कर सके।”
इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया: “हमास ग़ाज़ा पट्टी पर नियंत्रण बनाए हुए है और इज़रायल न तो अपने युद्ध के लक्ष्यों को प्राप्त कर सका और न ही क्षेत्र की वास्तविकता को बदल सका।” दूसरी ओर, इज़रायली अखबार येदिओत अहरोनोत के सैन्य विश्लेषक योसी योशुआ ने कहा कि 15 महीने के युद्ध के बाद, “राजनीतिक रूप से नेतन्याहू विफल रहे, सेना और उसके प्रमुख हर्ज़ी हलेवी सैन्य रूप से विफल रहे। हमास पर जीत नहीं हो सकी और राजनीतिक और सैन्य दोनों स्तर असफल रहे।”
गौरतलब है कि इज़रायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने 7 अक्टूबर 2023 को ग़ाज़ा पर आक्रमण के पहले दिन से ही यह स्पष्ट किया था कि हमास का सैन्य और राजनीतिक विनाश और इज़रायली बंधकों की वापसी युद्ध के मुख्य उद्देश्य हैं। लेकिन महीनों की बातचीत और युद्ध को लंबा खींचने की कोशिश के बाद, अंततः नेतन्याहू को हमास के साथ समझौता करना पड़ा। कहा जा रहा है कि यह समझौता अगले रविवार से लागू होगा।