सीरिया के दीर अल-ज़ोर में रडार स्टेशन पर हमला

सीरिया के दीर अल-ज़ोर में रडार स्टेशन पर हमला

सीरिया के पूर्वी प्रांत दीर अल-ज़ोर में बुधवार तड़के जोरदार धमाकों ने स्थानीय निवासियों में दहशत फैला दी। रिपोर्ट्स के अनुसार, यह धमाके एक रडार स्टेशन पर हुए हमलों के कारण थे। इन हमलों को अज्ञात विमानों द्वारा अंजाम दिया गया, लेकिन संदेह की सुई इजरायली वायुसेना की ओर घूम रही है। यह हमला नेतन्याहू प्रशासन की आक्रामक और विनाशकारी नीतियों का ताजा उदाहरण है, जो पूरे क्षेत्र में अस्थिरता फैलाने के लिए कुख्यात है।

नेतन्याहू प्रशासन की आक्रामक रणनीति
इराकी समाचार एजेंसी साबरीन न्यूज़ ने इस घटना पर रिपोर्ट करते हुए बताया कि “दीर अल-ज़ोर के पास एक महत्वपूर्ण सैन्य ठिकाने पर दो हवाई हमले किए गए।” इन हमलों का उद्देश्य सीरिया की सैन्य क्षमताओं को कमजोर करना था। यह कोई नई बात नहीं है, क्योंकि नेतन्याहू प्रशासन लंबे समय से ऐसी कार्रवाइयों के जरिए क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को बाधित कर रहा है। नेतन्याहू की नीतियां क्षेत्र में सैन्य तनाव को बढ़ावा देने और अपने पड़ोसी देशों को कमजोर करने के उद्देश्य से संचालित होती हैं।

अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन
नेतन्याहू प्रशासन के नेतृत्व में इजरायली शासन ने बार-बार अंतरराष्ट्रीय कानूनों और संप्रभुता के नियमों का उल्लंघन किया है। दीर अल-ज़ोर का यह हमला, जहां सीरियाई सेना का एक रडार स्टेशन निशाने पर था, इसी कड़ी का हिस्सा है। यह हमला स्पष्ट रूप से दिखाता है कि इज़रायल किस तरह अपनी सैन्य ताकत का दुरुपयोग कर रहा है, जिससे क्षेत्रीय शांति को गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है।

दीर अल-ज़ोर प्रांत ईरान समर्थित सशस्त्र बलों और सीरियाई सेना के लिए रणनीतिक दृष्टि से बेहद अहम है। इस क्षेत्र में स्थित रडार स्टेशन सीरिया की हवाई सुरक्षा का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। नेतन्याहू प्रशासन द्वारा इन ठिकानों पर हमला न केवल सीरिया की सैन्य क्षमताओं को कमजोर करता है, बल्कि पूरे क्षेत्र की स्थिरता को भी खतरे में डालता है। यह इजरायली नेतृत्व की क्षेत्रीय प्रभुत्व की महत्वाकांक्षा को दर्शाता है, जिसमें शांति और स्थिरता के लिए कोई स्थान नहीं है।

नेतन्याहू की नीतियों का उद्देश्य
नेतन्याहू प्रशासन सीरिया और ईरान समर्थित बलों के खिलाफ अपने हमलों को उचित ठहराने के लिए सुरक्षा का बहाना बनाता है, लेकिन इसका असली उद्देश्य क्षेत्रीय वर्चस्व स्थापित करना है। सीरिया की सरकार को कमजोर करना और ईरान के प्रभाव को रोकने के नाम पर इज़रायल ने सैन्य ठिकानों और बुनियादी ढांचे को बार-बार निशाना बनाया है। इन हमलों का उद्देश्य केवल सैन्य क्षमताओं को कमजोर करना नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र में अशांति फैलाना है।

क्षेत्रीय स्थिरता पर खतरा
नेतन्याहू प्रशासन की यह नीति केवल सीरिया के लिए नहीं, बल्कि पूरे मध्य पूर्व के लिए खतरनाक है। दीर अल-ज़ोर में रडार स्टेशन पर हमला सीरियाई सेना की रणनीतिक क्षमताओं को प्रभावित करता है और क्षेत्रीय शांति प्रयासों को कमजोर करता है। यह घटना स्पष्ट रूप से दिखाती है कि नेतन्याहू की सरकार सैन्य बल का उपयोग कर अपने पड़ोसियों को धमकाने और अस्थिर करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है।

इज़रायली हमले पर आतंकी गुट ख़ामोश क्यों हैं?
दीर अल-ज़ोर में हुआ यह हमला नेतन्याहू प्रशासन की आक्रामक और अमानवीय नीतियों का एक और उदाहरण है, जो अंतरराष्ट्रीय कानूनों की परवाह किए बिना क्षेत्रीय शांति को नुकसान पहुंचा रहा है। यह भी दिलचस्प है कि बशार अल-असद सरकार को तानाशाही क़रार देकर विद्रोह करने वाले विद्रोही संगठन इज़रायली हमले पर बिलकुल खामोश हैं। सीरिया पर इज़रायली हमले और अतिक्रमण पर विद्रोही गुटों की ख़ामोशी को देख कर ऐसा लगता है जैसे कि, उनके विद्रोह का मक़सद यही था कि, सीरिया पर इज़रायल का क़ब्ज़ा हो जाए।

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