“कथनी और करनी” में अंतर के कारण राजनेताओं पर विश्वास कम हुआ: राजनाथ सिंह
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को कहा कि राजनीति में कहने और करने में फर्क होने के कारण राजनीतिज्ञों पर जनता का विश्वास घटा है। आगरा के इंटर कॉलेज में आयोजित सेकेंडरी एजुकेशन ग्रुप (शर्मा ग्रुप) के राज्य सम्मेलन में शिक्षकों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि राजनीतिक क्षेत्र में रहते हुए किसी को गुमराह नहीं करना चाहिए। कहने और करने में फर्क होने के कारण राजनीतिज्ञों ने अपना विश्वास खो दिया है। उन्होंने कहा, “मैं विश्वास नहीं दिलाता, लेकिन पूरी कोशिश करता हूं।”
रक्षामंत्री ने तीन दिवसीय सम्मेलन का उद्घाटन, मशाल जलाकर किया। शिक्षकों की पुरानी पेंशन बहाल करने की मांग पर राजनाथ सिंह ने कहा, “आपकी जो भी मांगें हैं, उनके संबंध में मुख्यमंत्री से मिलें। अगर यह उचित मांग है तो जरूर विचार किया जाएगा। फैसला यूपी सरकार को करना है, मैं भी मुख्यमंत्री से मिलकर कहूंगा। अगर यह मांग जायज है तो योगी जी इसे जरूर पूरा करेंगे।”
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, “शिक्षकों पर समाज और राष्ट्र निर्माण की जिम्मेदारी है। समय के साथ उनकी भूमिका में बदलाव आया है, लेकिन आधुनिक माध्यमों से संस्कृति और सभ्यता की शिक्षा नहीं दी जा सकती। इसके लिए समझ और मार्गदर्शन, शिक्षक ही प्रदान करते हैं।”
राजनाथ सिंह ने विभिन्न राज्यों से आए हुए शिक्षकों से कहा, “शिक्षकों के योगदान को बताने की जरूरत नहीं है, कृष्ण भी शिक्षक थे। राजनीति में आने से पहले मैं भी शिक्षक था। भले ही अब शिक्षक नहीं हूं, पढ़ाने का सिलसिला टूटा है लेकिन पढ़ाई जारी है।” उन्होंने कहा, “कंप्यूटराइजेशन के दौर में युवाओं को जानकारी की कमी नहीं है, वे एक क्लिक में जानकारी पा रहे हैं। ऐसे में शिक्षकों के योगदान पर सवाल उठ रहे हैं, लेकिन जानकारी देने और शिक्षा देने में काफी अंतर है।
सही विकल्प का चयन समझ से होता है, जो शिक्षक पैदा करता है। जब आप किसी बच्चे का भविष्य बनाते हैं तो आप राष्ट्र का भविष्य बनाते हैं, और मुझे उम्मीद है कि आप अपनी जिम्मेदारी को जरूर निभाएंगे। शिक्षा के साथ-साथ बच्चों में सांस्कृतिक जागरूकता भी पैदा करनी होगी।”
देश की प्रगति पर बात करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, “देश ने हर क्षेत्र में प्रगति की है। मैं विश्वास के साथ कह सकता हूं कि आने वाले ढाई वर्षों में भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया की शीर्ष तीन अर्थव्यवस्थाओं में शामिल होगी। फिलहाल भारतीय अर्थव्यवस्था 11वें से 5वें स्थान पर पहुंच चुकी है, और यह लगातार बढ़ रही है। भारत का प्रभाव विदेशों में भी बढ़ा है। अंतरराष्ट्रीय मंच पर अब भारत की बात को गंभीरता से सुना जाता है।”