विवादित बयान देने पर जज शेखर यादव को सुप्रीम कोर्ट का समन
देश के बहुसंख्यक वर्ग के हिसाब से चलने और मुसलमानों को लेकर विवादित बयान देने वाले इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज, जस्टिस शेखर कुमार यादव विवादों में घिर गए हैं। विवादित बयान के बाद हंगामा होने पर सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर बड़ा एक्शन लिया है। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जस्टिस शेखर कुमार यादव को सुप्रीम कोर्ट में पेश होने के लिए समन भेजा है। जस्टिस शेखर कुमार यादव को अपने विवादित बयानों पर स्पष्टीकरण देने को भी कहा गया है।
गौरतलब है कि जस्टिस शेखर कुमार यादव ने विश्व हिंदू परिषद द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में विवादित बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि देश का कानून बहुसंख्यक वर्ग की इच्छा के अनुसार चलेगा। मीडिया सूत्रों के अनुसार, देश के मुख्य न्यायधीश जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाला कॉलेजियम इस मामले पर जल्द ही सुनवाई करेगा। सूत्रों के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट के शीतकालीन अवकाश यानी 17 दिसंबर से पहले सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर विचार करेगा।
इससे पहले 10 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने बयान से संबंधित मीडिया रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट से रिपोर्ट मांगी थी। सुप्रीम कोर्ट के एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के मौजूदा जज जस्टिस शेखर कुमार यादव द्वारा दिए गए बयान की खबरों पर नोटिस लिया है। हाईकोर्ट से अन्य विवरण भी मांगे गए हैं और मामला विचाराधीन है।
8 दिसंबर को प्रयागराज में विश्व हिंदू परिषद के एक कार्यक्रम में जस्टिस यादव ने समान नागरिक संहिता पर बात करते हुए कहा था कि यह कानून है। कानून दरअसल बहुसंख्यक वर्ग के अनुसार ही काम करता है। इसे परिवार या समाज के संदर्भ में देखें। बस वही स्वीकार किया जाएगा जिससे बहुसंख्यक वर्ग को खुशी और फायदा मिले। सोशल मीडिया पर इस बयान को लेकर काफी हंगामा हुआ था। विपक्षी नेताओं ने जज के इस बयान को विभाजनकारी और असंवैधानिक बताया था। वहीं, कानून से जुड़े व्यक्तियों ने भी इस पर गंभीर सवाल उठाए थे।
वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण और सीपीआई (एम) की नेता बृंदा करात ने मुख्य न्यायधीश संजीव खन्ना को पत्र लिखकर कहा था कि यह टिप्पणी जज के पद की शपथ के खिलाफ है। बार एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने भी इस टिप्पणी की निंदा करते हुए एक प्रस्ताव पास किया था। इस बीच 55 विपक्षी सांसदों ने पिछले शुक्रवार को राज्यसभा में जस्टिस शेखर यादव के खिलाफ महाभियोग की कार्रवाई की मांग करते हुए एक नोटिस दायर किया था।