सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो गैंगरेप के दोषियों की सरेंडर के टाइम में रियायत वाली याचिका ठुकराई
गुजरात के चर्चित बिलकिस बानो केस के सभी 11 दोषियों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने इस केस के दोषियों की याचिका को ठुकरा दिया है। सभी ने सरेंडर की अवधि बढ़ाने के लिए सुप्रीम कोर्ट से अपील किया था। कोर्ट ने दोषियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए उसे खारिज कर दिया।
8 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने 11 दोषियों की रिहाई से जुड़ा गुजरात सरकार का फैसला रद्द किया था। कोर्ट ने सभी को 2 सप्ताह में समर्पण करने को कहा था। इस हिसाब से उन्हें 21 जनवरी को सरेंडर कर वापस जेल जाना है।
बीते 8 जनवरी कोबिलकिस बानों केस के दोषियों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा था। सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों की रिहाई का फैसला रद्द करते हुए उन्हें सरेंडर करने को कहा था। अगस्त 2022 में गुजरात सरकार ने बिलकिस बानो गैंगरेप केस में उम्रकैद की सजा पाए सभी 11 दोषियों को रिहा कर दिया था। दोषियों की रिहाई को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। कोर्ट ने कहा कि राज्य इस तरह का निर्णय लेने के लिए सक्षम नहीं है।
दरअसल, गुजरात के चर्चित बिलकिस बानो केस में सुप्रीम कोर्ट ने 8 जनवरी 2024 को अहम फैसला सुनाया था। जस्टिस बीवी नागरत्ना की बेंच ने बिलकिस बानो केस में 11 दोषियों को बरी करने के गुजरात सरकार के फैसले को रद्द कर दिया था। इतना ही नहीं SC ने अपने फैसले में दोषियों को दो हफ्ते में सरेंडर करने के लिए कहा था।
इसी को लेकर 11 दोषियों में से तीन ने सुप्रीम कोर्ट में आवेदन दाखिल कर समर्पण की अवधि बढ़ाने की मांग की थी। कोर्ट से गोविंद नाई ने 4 सप्ताह, जबकि मितेश भट्ट और रमेश चांदना ने 6 सप्ताह की मोहलत मांगी थी। इन दोषियों ने व्यक्तिगत कारणों का हवाला दिया था।
बता दें कि साल 2002 में गोधरा ट्रेन अग्निकांड के बाद हुए दंगों के दौरान बिलकिस बानो के साथ गैंगरेप की वारदात हुई थी और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या कर दी गई थी। इस मामले में 21 जनवरी 2008 को CBI की विशेष अदालत ने 11 लोगों को दोषी ठहराते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई थी।
15 अगस्त 2022 को गुजरात सरकार गुजरात दंगों के दौरान बिलकिस बानो के साथ गैंगरेप के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे सभी 11 दोषियों को माफी देते हुए जेल से रिहा कर दिया था। गुजरात सरकार के इस फैसले के खिलाफ बिलकिस बानों ने दोषियों की रिहाई को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।