सुप्रीम कोर्ट से कुकी समाज को आतंकवादी बताने वाली याचिका खारिज
मणिपुर लगभग तीन महीने से हिंसा की आग में सुलग रहा है। केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकार भी अब तक स्थिति में सुधार करने में असमर्थ दिख रही है। यही वजह है कि विपक्षी दल लगातार सरकार पर हमलावर हैं। इस बीच मणिपुर में जातीय हिंसा में शामिल मैतेई समुदाय के कुछ लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी जिसे सुप्रीम कोर्ट ने आज ख़ारिज कर दिया।
इस याचिका में मैतेई समुदाय के कुछ लोगों ने मणिपुर हिंसा का मुख्य कारण म्यांमार से कुकी समुदाय की घुसपैठ को बताया था। इसके साथ ही उन्होंने कुकी समुदाय को आतंकवादी बताने की भी कोशिश की थी हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया है।
मैतेई समुदाय के एक संगठन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि मणिपुर में हो रही हिंसक घटनाएं जातीय हिंसा नहीं हैं। याचिकाकर्ता का कहना है कि यह हिंसा म्यांमार के सशस्त्र कुकी आतंकवादियों द्वारा मादक पदार्थों की तस्करी के कारण है। याचिका में कहा गया है कि मणिपुर में अफ़ीम की अवैध खेती से जातीय हिंसा हो रही है।
याचिका में मैतेई समाज संगठन ने कहा कि कुकी आतंकी लगातार म्यांमार से सीमा पार कर हथियारों के बल पर अफीम की अवैध खेती करना चाहते हैं। इन आरोपों के साथ ही याचिकाकर्ता ने मामले की जांच के लिए एसआईटी के गठन की भी मांग की थी। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 32 के तहत याचिका स्वीकार नहीं की जा सकती। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता को इस मामले को उचित फोरम के सामने उठाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा याचिका पर सुनवाई से इनकार करने के बाद याचिकाकर्ता ने याचिका वापस ले ली। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने याचिकाकर्ता से अपनी याचिका में संशोधन करने और मजबूत दलीलें जोड़ने के बाद दोबारा याचिका दाखिल करने को कहा। चीफ जस्टिस ने याचिका पर सुनवाई से इनकार करते हुए कहा कि आप एक जनजाति को आतंकवादी बता रहे हैं।