जस्टिस शेखर यादव के खिलाफ महाभियोग को चुनौती देने वाली याचिका खारिज
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जस्टिस शेखर यादव के खिलाफ महाभियोग की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया। यह याचिका विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के एक कार्यक्रम में जस्टिस यादव द्वारा मुसलमानों के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियों और ‘कट्टर मुल्ला’ जैसे अपमानजनक शब्दों के इस्तेमाल को लेकर दायर की गई थी।
जस्टिस अता उर रहमान मसूदी और जस्टिस सुभाष विद्यार्थी की पीठ ने अधिवक्ता अशोक पांडे द्वारा दायर जनहित याचिका को निरस्त करते हुए कहा कि यह सुनवाई के योग्य नहीं है। पांडे ने तर्क दिया कि मुख्य मुद्दा यह है कि क्या एक न्यायाधीश को निजी तौर पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार है। इस पर पीठ ने कहा कि यदि जस्टिस यादव के अधिकारों का उल्लंघन हुआ है, तो वे स्वयं अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं।
इलाहाबाद में वीएचपी के एक कार्यक्रम में जस्टिस शेखर यादव ने एक आम हिंदू कट्टरपंथी की तरह मुसलमानों के खिलाफ नफरत भरे बयान दिए थे। इसकी सुप्रीम कोर्ट ने भी नोटिस लिया था और उन्हें जवाब देने के लिए बुलाया था। वहीं, राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल ने 54 अन्य सांसदों के समर्थन से जस्टिस यादव के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पेश किया था। हालांकि, अभी तक इस प्रस्ताव पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
अधिवक्ता पांडे ने हाईकोर्ट में यह तर्क दिया कि जस्टिस यादव ने यह बयान एक न्यायाधीश के रूप में नहीं, बल्कि एक हिंदू के तौर पर दिया था, इसलिए राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ को उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव स्वीकार नहीं करना चाहिए।