नए कृषि कानूनों (Farm Laws) के विरोध में सड़क से संसद तक संग्राम जारी है इसी बीच देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकसभा में थोड़ी ही देर में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान उठे सवालों के जवाब देंगे।
समाचार एजेंसी ए एन आइ के अनुसार प्रधानमंत्री मोदी इस दौरान कृषि कानूनों के मसले पर क्या कहते हैं इस पर सबकी नजरें होंगी। साथ ही भारतीय जनता पार्टी ने अपने सांसदों को लोकसभा में मौजूद रहने का भी फरमान जारी किया है।
बता दें कि बीते दिनों प्रधानमंत्री मोदी ने राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर अपने संबोधन में कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे प्रदर्शन के पीछे हित साध रहे कुछ कथित आंदोलनकारियों और अपनी सियायत चमकाने में लगे राजनीतिक दलों पर करारा हमला बोला था।
प्रधानमंत्री मोदी आंदोलन में शामिल नेताओं को ‘आंदोलनजीवी’ करार देते उन लोगों से बचने की सलाह दी थी जो अपने स्वार्थ के लिए आंदोलन को भड़का रहे हैं। और पीएम मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बयानों का उल्लेख करते हुए कृषि कानूनों को लेकर कांग्रेस पर यूटर्न का आरोप भी लगाया था।
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव की चर्चा के दौरान उठे मुद्दों का जवाब दे रहे हैं. इससे पहले उन्होंने राज्यसभा में हुए अपने संबोधन के दौरान विपक्षी दलों को आड़े हाथों लिया था.
पीएम मोदी ने कहा कि अंग्रेज कहा करते थे कि भारत कई देशों का एक द्वीप है और कोई भी इसे एक नहीं कर सकता है. लेकिन आज 75 साल की यात्रा में हम विश्व के लिए एक आशा की किरण बनकर खड़े हैं
उन्होंने आगे कहा कि कोरोना के दौरान भारत ने जिस प्रकार से अपने आप को संभाला और दुनिया को संभलने में मदद की वो एक प्रकार से टर्निंग प्वाइंट है. जिस भावनाओं को लेकर हम पले बढ़े हैं वो है सर्वेभन्तु निरामया, कोरोना काल में भारत ने इसको करके दिखाया है..
पीएम मोदी ने आगे कहा कि पोस्ट कोरोना के बाद दुनिया में एक नया संबंधों का वातावरण आकार लेगा. ऐसी स्थिति में भारत एक कोने में कटकर नहीं रह सकता. हमें एक मजबूत प्लेयर के रूप में उभरकर निकलना होगा. भारत को सशक्त होना होगा और इसका एकमात्र रास्ता है आत्मनिर्भर भारत.
पीएम मोदी ने संसद में कहा कि सच्ची कसौटी तब होती है जब संकट होता है. कई देशों ने लोगों को पैसे दिए ताकि उनकी मदद हो सके. देश पैसों का ढेर होने के बाद भी लोगों तक पैसा नहीं पहुंचा पाए. लेकिन ये भारत है जो कोरोना काल में 75 करोड़ भारतीयों को 8 महीने तक राशन पहुंचा सकता है. यही भारत है जिसने जन-धन, आधार और मोबाइल के द्वारा 2 लाख करोड़ रुपया इस कालखंड में लोगों तक पहुंचा दिया. और दुर्भाग्य देखिए कि ये आधार, मोबाइल और जनधन अकाउंट इतना करीब से काम आया लेकिन कभी-कभी सोचते हैं कि आधार को रोकने के लिए कौन लोग कोर्ट गए थे कौन लोग सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे खटखटा रहे थे.
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