कृषि कानूनों में बदलाव नहीं बल्कि उसको निरस्त करवाने के लिए हमारा आंदोलन: किसान संगठन

आज 28वें दिन भी कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन जारी है सरकार की तरफ से एक बार फिर से बातचीत का प्रस्ताव भेजा गया, जिसे किसानों ने ठुकरा दिया. किसान संगठन का कहना है कि हम तीनों कानूनों में किसी भी प्रकार के बदलाव की बात नहीं कर रहे बल्कि तीनों कानूनों को वापस लेने की मांग करते हैं.

आज सिंघु बॉर्डर पर सरकार के प्रस्ताव पर चर्चा के लिए किसान संगठनों की बैठक बुलाई गई थी. बैठक के बाद किसान संगठनों ने कहा कि हम तीनों कानूनों में किसी भी प्रकार के बदलाव की बात ही नहीं कर रहे जो बार बार सरकार हमसे क़ानूनों में बदलाव की बात करती हैं आज हम साफ़ साफ़ सरकार को बता देना कहते हैं कि हम इन कानूनों को निरस्त करने की मांग करते हैं. उन्होंने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को लेकर जो प्रस्ताव सरकार से आया है उसमें कुछ भी साफ नहीं और स्पष्ट नहीं है.

किसान संगठनों की ओर से कहा गया कि सरकार की ओर से आया प्रस्ताव इतना खोखला और हास्यास्पद है कि उस पर उत्तर देना उचित नहीं है. उन्होंने कहा कि हम तैयार हैं लेकिन सरकार ठोस प्रस्ताव लिखित में भेजे और खुले मन से बातचीत के लिए बुलाए.

भारतीय किसान यूनियन के युधवीर सिंह का कहना है कि जिस तरह से केंद्र बातचीत की प्रक्रिया को आगे बढ़ा रहा है, इससे स्पष्ट है कि सरकार इस मुद्दे पर देरी करना चाहती है और विरोध करने वाले किसानों का मनोबल तोड़ना चाहती है. सरकार हमारे मुद्दों को हल्के में ले रही है, मैं उसे इस मामले का संज्ञान लेने के लिए चेतावनी दे रहा हूं.

 

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