‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ बिल: बीजेपी के 20 से ज्यादा सांसद गैरहाजिर रहे
लोकसभा में ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ (एक देश, एक चुनाव) को लेकर जबरदस्त हंगामा और विरोध प्रदर्शन देखने को मिला। विपक्षी नेताओं ने इस बिल की कड़ी आलोचना की और वोटिंग की मांग की। सरकार ने अपनी दो-तिहाई बहुमत के भरोसे पहले तो हाथ उठाकर वोटिंग करवाई, लेकिन जब विपक्ष नहीं माना तो इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग करानी पड़ी। वोटिंग के नतीजे सरकार के लिए झटका साबित हुए, क्योंकि इस बिल के पक्ष में केवल 269 वोट पड़े, जबकि इसके खिलाफ 198 सांसदों ने वोट डाले।
बिल पर सरकार बहुमत हासिल नहीं कर पाई
सरकार के लिए स्थिति तब और ख़राब हो गई, जब बिल को पास करने के लिए जरूरी दो-तिहाई बहुमत (307 वोट) हासिल नहीं हो पाया। बिल को केवल 269 वोट मिले, जो कि 38 वोट कम थे। यह कमी तब सामने आई, जब बीजेपी ने कुछ दिन पहले ही अपने सभी सांसदों को व्हिप जारी कर संसद में मौजूद रहने का निर्देश दिया था। इसके बावजूद, खुद बीजेपी के 20 से ज्यादा सांसद वोटिंग के दौरान गैरहाजिर रहे। पार्टी नेतृत्व ने इस पर सख्त नाराजगी जताई और गैरहाजिर सांसदों से स्पष्टीकरण मांगा है।
बिल को संयुक्त संसदीय समिति के पास भेजा गया
विपक्ष की कड़ी आपत्ति और बिल को असंवैधानिक करार देने के बाद केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने इसे संसद की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेजने का अनुरोध किया। लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने इस अनुरोध को तुरंत मंजूरी दे दी। विपक्ष ने इस बिल को संविधान बदलने की कोशिश बताते हुए इसे लोकतंत्र के सिद्धांतों के खिलाफ बताया। सरकार के लिए यह स्थिति दोहरी मुश्किल बन गई, क्योंकि न सिर्फ विपक्ष का भारी दबाव था, बल्कि दो-तिहाई बहुमत की कमी ने सरकार की स्थिति को कमजोर कर दिया।
वोटिंग का परिणाम
लोकसभा में कुल 461 वोट डाले गए। बिल को पास करने के लिए 307 वोटों की जरूरत थी, लेकिन सरकार को सिर्फ 269 वोट मिले। यह बिल मंगलवार को लोकसभा में कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल द्वारा पेश किया गया। उन्होंने कहा कि नियम 74 के तहत वह इस बिल के लिए जेपीसी गठन का प्रस्ताव देंगे। इस दौरान कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं ने इस संवैधानिक संशोधन बिल का कड़ा विरोध किया। पार्टी के नेताओं ने कहा कि ‘एक देश, एक चुनाव’ बिल केवल पहला कदम है। असली उद्देश्य एक नया संविधान लाना है, और इसी दिशा में यह प्रयास किया जा रहा है।