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नीतीश कुमार, बिहार में नही है धर्मांतरण कानून की जरूरत

नीतीश कुमार, बिहार में नही है धर्मांतरण कानून की जरूरत

नीतीश कुमार ने कहा है कि बिहार में सभी धर्मों के लोग आपसी सद्भाव से रहते हैं। इसे लेकर कोई खास मामले बिहार में सामने नहीं आए हैं, जो यह कानून बनाया जाए।

बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि धर्मांतरण विरोधी कानून लाने की कोई आवश्यकता नहीं है। सीएम नीतीश कुमार के अनुसार बिहार में जो स्थिति है उसको देखते हुए बिहार मे ऐसे किसी भी कानून की जरूरत ही नहीं है। पत्रकार द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब में सीएम ने कहना है कि बिहार में सभी धर्मों के लोग आपसी सद्भाव से रहते हैं।  इसे लेकर कोई खास मामले बिहार में सामने नहीं आए हैं जो इस तरह का कानून बनाया जाए।

जातिगत जनगणना के मामले पर नीतीश कुमार ने शनिवार को बीजेपी द्वारा व्यक्त की गई आशंकाओं के बारे में एक प्रश्न को दरकिनार कर दिया। जातिगत जनगणना की घोषणा के बाद राज्य बीजेपी अध्यक्ष संजय जायसवाल ने मांग की थी कि सरकार जनगणना के दौरान सावधानी बरते ताकि रोहिंग्या सर्वेक्षण के दायरे से बाहर रहें। इस संबंध में जब पत्रकारों ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से सवाल किया तो वो पहले थोड़ा रुके कुछ पल के लिए कुछ सोचा और फिर जवाब मे मुझे जानकारी नहीं कहकर चलते बने।

याद रहे कि इस हफ्ते की शुरुआत में आयोजित सर्वदलीय बैठक में सभी पार्टियों ने राज्य में जातिगत जनगणना कराने की सहमति जहीर की है। हालांकि सहमति देने के बाद बिहार बीजेपी अध्यक्ष जायसवाल ने एक फेसबुक पोस्ट के जरिए कहा था कि उनकी पार्टी ने इस कदम का समर्थन किया। लेकिन इसमें पार्टी को कई चुनौतियों से गुज़रना होगा । उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि सर्वेक्षण से बांग्लादेशियों और रोहिंग्याओं म्यांमार जैसे विदेशी घुसपैठियों को जनगणना से बाहर रखा जाए ताकि उन्हें वैधता नहीं मिल सके।

जायसवाल द्वारा उठाए गए विवाद में एक तर्क यह भी था कि सीमांचल क्षेत्र में उच्च जाति के शेख मुसलमानों को कथित तौर पर आरक्षण लाभ के लिए ओबीसी का झूठा दावा करने के लिए जाना जाता है। ऐसे में इस तरह की त्रुटियों को सर्वेक्षण द्वारा समाप्त किया जाना चाहिए।

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