10 जनवरी को होगा शिंदे गुट के विधायकों की सदस्यता का फैसला
कोर्ट के आदेश के मुताबिक शिंदे सरकार में शामिल 16 विधानसभा सदस्यों की सदस्यता रद्द करने के मामले में फैसला सुनाने का वक्त आ गया है।10 जनवरी को विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर इस मामले में अपना फैसला सुनाएंगे। शिवसेना के दोनों गुटों (उद्धव और शिंदे) के सदस्यों की सुनवाई पूरी हो चुकी है। खबरों के मुताबिक स्पीकर का फैसला भी तैयार है, जिसे संशोधन के लिए दिल्ली में विशेषज्ञों के पास भेजा गया है।
याद रहे कि पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि 2022 में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में बगावत करने वाले 16 शिवसेना सदस्यों की सदस्यता रद्द की जानी चाहिए थी, लेकिन यह अधिकार विधानसभा अध्यक्ष का है, इसलिए विधानसभा अध्यक्ष इस मामले में ख़ुद फैसला करें। इस निर्देश के बाद भी राहुल नार्वेकर ने 2 महीने तक कोई कदम नहीं उठाया तो शिवसेना (उद्धव) ने एक बार फिर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
इस बार कोर्ट ने साफ निर्देश देते हुए कहा था कि स्पीकर इस मामले में 31 दिसंबर तक फैसला दें। इसके बाद स्पीकर ने मामले की सुनवाई शुरू की और 31 दिसंबर से कुछ देर पहले कोर्ट से और समय मांगा। कोर्ट ने उन्हें 10 जनवरी तक का समय दिया था। अब वह समय ख़त्म हो गया है। याद रहे कि इस फैसले पर पूरे प्रदेश की नजर है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, राहुल नार्वेकर बुधवार शाम 4 बजे अपने फैसले का ऐलान करेंगे। शाम 4:00 बजे फैसले के महत्वपूर्ण अध्याय पढ़े जाएंगे, जिसके बाद विस्तृत फैसले की प्रतियां दोनों समूहों को सौंपी जाएगी। फिलहाल विधानसभा में इससे संबंधित अधिकारी इस फैसले की ख़ामियों को दुरुस्त करने में जुटे हैं, जबकि ड्राफ्ट फैसले की कॉपी संशोधन के लिए दिल्ली भेज दी गयी है। इस बीच स्पीकर राहुल नार्वेकर ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से मुलाकात की है, जिस पर उद्धव गुट ने नाराजगी जताई है।
क्या हो सकता है फैसला?
जानकारों के मुताबिक शिंदे गुट की सदस्यता रद्द करने को लेकर विधानसभा अध्यक्ष संविधान के प्रावधानों के मद्देनजर 4 अलग-अलग तरीकों से फैसला दे सकते हैं।
1. अगर यह साबित हो गया कि शिंदे गुट के सदस्यों ने शिवसेना के मुख्य सचेतक सुनील प्रभु के निर्देश को मानने से इनकार कर दिया था तो शिंदे गुट के 40 सदस्यों की सदस्यता रद्द कर दी जायेगी।
2. अगर राहुल नार्वेकर इस तर्क को स्वीकार कर लें कि चुनाव आयोग ने पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह शिंदे गुट को दे दिया है और वही असली शिवसेना है तो उन्हें शिंदे की बगावत के समय पार्टी के नेता के रूप में मान्यता मिल जाएगी और उद्धव गुट अमान्य हो जायेगा।
4. अगर फैसला सुनाए जाने से पहले राहुल नार्वेकर ने स्पीकर पद से इस्तीफा दे दिया तो यह मामला फिर लटक जाएगा और इस तरह शिंदे सरकार बच जाएगी, लेकिन खबर लिखे जाने तक ऐसा कुछ नहीं हुआ है।