मनोज जरांगे ने भूख हड़ताल समाप्त की, मराठा आरक्षण के लिए सरकार को 13 अगस्त तक का अल्टीमेटम
मुंबई: मराठा आरक्षण आंदोलन के नेता मनोज जरांगे पाटिल ने शिंदे सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। जरांगे ने बुधवार को अपनी अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल समाप्त करने की घोषणा की है। हालांकि उन्होंने अपनी मांगों को पूरा करने के लिए राज्य सरकार को 13 अगस्त तक का अल्टीमेटम दिया है।
अंतरोली सराटी गांव में मनोज जरांगे ने बुधवार को कहा, “कठोर कमजोरी के कारण, कल रात को मैंने सलाइन लगवाई है। मुझे लगता है कि इस तरह भूख हड़ताल करने का कोई मतलब नहीं है।सरकार 13 अगस्त तक हमारी मांगें पूरी कर दे। अन्यथा हम उन्हें विधानसभा चुनाव में चुनौती देंगे।” जरांगे ने भविष्यवाणी की कि “शिंदे-फडणवीस सरकार गिर जाएगी और अगले चुनाव में बीजेपी का एक भी विधायक चुनकर नहीं आएगा।”
चुनावी राजनीति में उतरने का संकेत
उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव के लिए 28 अगस्त को तय किया जाएगा कि 288 उम्मीदवारों में से किसे हराना है और किसे जिताना है।” सकाल की रिपोर्ट के अनुसार, मनोज जरांगे ने कहा कि “हमें विधानसभा में मराठा समाज के 40 से 50 उम्मीदवार चाहिए।” जरांगे के अनुसार “अगर हमें कोई समस्या आती है तो विधानसभा में कोई आवाज उठाने वाला चाहिए। जिस तरह गांव की प्रगति के लिए पंचायत में अपना प्रतिनिधि होना चाहिए, उसी तरह किसानों की समस्याओं को सरकार तक पहुंचाने के लिए विधानसभा में भी कोई न कोई होना चाहिए।
बीज बीमा, किसानों की आत्महत्या, फसलों के दाम जैसे मुद्दों के साथ-साथ मराठा आरक्षण, मुस्लिम आरक्षण, दलित, बारह बलूतेदार, बनजारा, धनगर भाईयों के सवाल पूछने वाला कोई नहीं है। लोगों को खुद ही प्रतिनिधियों से कहना पड़ता है कि यह काम करोगे कि नहीं? अगर विधायक के दिल में आ गया तो वह सवाल करता है। इसी वजह से हमें विधानसभा में अपने 40 से 50 लोग चाहिए।
अब यह तय करना होगा कि किस-किस विधानसभा क्षेत्र से अपने उम्मीदवार उतारने हैं।” जरांगे ने कहा, “आज से मैं किसी की आलोचना का जवाब नहीं दूंगा, अब केवल खेल करूंगा। बीजेपी में जो मराठा बंदर कूद फांद कर रहे हैं, उन्हें यह हरकतें करने दीजिए मैं उन्हें कोई जवाब नहीं दूंगा। अब मैं यह योजना बनाऊंगा कि किसे, कैसे हराना है।”
जरांगे ने कौन से आरोप लगाए
मनोज जरांगे पाटिल ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को निशाना बनाते हुए कहा कि “वह नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में मराठा समाज को ओबीसी के तहत आरक्षण देने की प्रक्रिया को लंबा खींच रहे हैं।” जरांगे की मांगों में कुनबी समाज को मराठा समाज के लोगों से रक्त संबंध रखने वाले के रूप में स्वीकार करना शामिल है, जरांगे की मांग है कि (सगे सुअरे संबंधी) के नोटिफिकेशन को लागू किया जाए और मराठों को ओबीसी श्रेणी के तहत आरक्षण दिया जाए।
ज्ञात हो कि कुनबी मराठा समाज का एक किसान वर्ग है। इसे महाराष्ट्र में ओबीसी का दर्जा प्राप्त है। जरांगे की मांग है कि सभी मराठों को कुनबी प्रमाणपत्र जारी किया जाए ताकि वे सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में कोटा के पात्र हों। मीडिया प्रतिनिधियों से बातचीत करते हुए जरांगे ने कहा, “मुख्यमंत्री शिंदे मराठा समाज को आरक्षण दे सकते हैं, लेकिन वे इस प्रक्रिया में देरी कर रहे हैं, केवल शिंदे साहब ही आरक्षण दे सकते हैं, लेकिन वे इसमें देरी क्यों कर रहे हैं?”
जरांगे ने आगे कहा कि सरकार को मराठों को उनके मांगें पूरी होने तक 3 आरक्षण विकल्प देने चाहिए: आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस), सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ा वर्ग (एसईबीसी) के तहत 10 प्रतिशत और ओबीसी कोटा (27 प्रतिशत) कुनबी के रूप में।


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